हल्द्वानी में ललित जोशी का बढ़ता जनसमर्थन:भाजपा को योगी आदित्यनाथ के सहारे की जरूरत क्यों पड़ी?

हल्द्वानी : हल्द्वानी नगर निगम चुनाव इस बार काफी चर्चा में है, कांग्रेस के प्रत्याशी और राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी ने शहर के विकास और समस्याओं के समाधान के मुद्दे पर जनता का ध्यान आकर्षित किया है। ललित जोशी न केवल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, बल्कि उनकी छवि एक जननेता और आंदोलनकारी की भी है,यही कारण है कि जनता उन्हें पार्टी के दायरे से बाहर जाकर समर्थन दे रही है।

ललित जोशी: संघर्ष और आंदोलन की पहचान

ललित जोशी हल्द्वानी में एक ऐसा नाम है, जो हर संघर्ष और आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, पिछले वर्ष जब राज्य की धामी सरकार ने रेरा कानून लागू किया, तब उन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया। इस आंदोलन के चलते हल्द्वानी में सरकार को झुकना पड़ा और यह जोशी की जनप्रियता और साहस को दर्शाता है।

वे चुनाव प्रचार के दौरान शहर की असली समस्याओं जैसे टूटी सड़कों, बंद नालियों, पानी की किल्लत और शहरी अव्यवस्थाओं को उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, उनका कहना है कि पिछले 10 वर्षों से भाजपा का मेयर और सरकार होने के बावजूद शहर की स्थिति बदहाल है।

भाजपा के हिंदूवादी एजेंडे की चुनौती

दूसरी ओर,भाजपा हमेशा की तरह अपने हिंदूवादी एजेंडे को सामने रखकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन इस बार यह रणनीति कमजोर नजर आ रही है, हल्द्वानी की जनता विकास और समस्याओं के समाधान की उम्मीद कर रही है, न कि केवल धर्म आधारित राजनीति की।

भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की छवि को भुनाने की कोशिश हो रही थी, लेकिन जब यह पर्याप्त नहीं लगा, तो अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रोड शो और सभा कराने की योजना बनाई जा रही है। यह दर्शाता है कि भाजपा को चुनाव जीतने के लिए योगी की लोकप्रियता और ध्रुवीकरण की रणनीति पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

 

योगी आदित्यनाथ की एंट्री: भाजपा के लिए जोखिम या मजबूरी?

योगी आदित्यनाथ का हल्द्वानी में प्रचार अभियान में शामिल होना भाजपा के लिए एक मजबूरी बनता दिख रहा है, इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की छवि और कार्यशैली उत्तराखंड में पर्याप्त प्रभाव नहीं डाल पा रही है?

यह स्थिति भाजपा के लिए आत्ममंथन का कारण हो सकती है। यदि योगी आदित्यनाथ का प्रचार अभियान भी असरदार साबित नहीं होता है, तो यह भाजपा की रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर सकता है।

ललित जोशी: जनता के प्रत्याशी

हल्द्वानी का माहौल इस बार अलग है। यह चुनाव केवल कांग्रेस बनाम भाजपा नहीं रह गया है। ललित जोशी को जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है। शहर के निवासी उन्हें कांग्रेस का नहीं, बल्कि जनता का प्रत्याशी मान रहे हैं।

लोगों का मानना है कि ललित जोशी सिर्फ वोट मांगने नहीं, बल्कि हल्द्वानी की तस्वीर बदलने के लिए मैदान में उतरे हैं, उनकी जमीनी पकड़ और स्पष्ट सोच ने उन्हें भाजपा के मुकाबले मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है।

भाजपा की मुश्किलें और ललित जोशी की बढ़त

भाजपा के पास योगी आदित्यनाथ जैसे बड़े नेता की एंट्री के बावजूद चुनौतियां बरकरार हैं। जनता में भाजपा के प्रति नाराजगी है क्योंकि उनके 10 साल के शासन में हल्द्वानी के मूलभूत मुद्दे हल नहीं हो सके। टूटी सड़कों और अव्यवस्थित नालियों के बीच जनता को रोजाना संघर्ष करना पड़ रहा है।

इस पृष्ठभूमि में, ललित जोशी का साफ और प्रभावी एजेंडा भाजपा को कमजोर कर रहा है।

चुनाव का बदलता स्वरूप

इस बार हल्द्वानी का चुनाव विकास बनाम धर्म आधारित राजनीति का प्रतीक बन गया है, ललित जोशी का आंदोलनकारी और जनहितैषी स्वरूप उन्हें जनता के करीब ला रहा है। दूसरी तरफ, भाजपा को अपने एजेंडे के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ जैसे कद्दावर नेता पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

अगर ललित जोशी अपनी बढ़त बरकरार रखते हैं, तो यह केवल कांग्रेस की जीत नहीं होगी, बल्कि हल्द्वानी की जनता के विश्वास और बदलाव की जीत भी होगी।

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