देहरादून | विशेष रिपोर्ट
सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही भ्रामक और फर्जी वीडियोज़ एक गंभीर सामाजिक चिंता का विषय बनती जा रही हैं। हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां पुरानी घटनाओं, दूसरे राज्यों की घटनाओं या झूठे संदर्भ में तैयार की गई वीडियोज़ को जानबूझकर गलत दावे के साथ वायरल किया गया, जिससे समाज में भ्रम, तनाव और भय का माहौल उत्पन्न हो रहा है।
इन वीडियोज़ का न तो वर्तमान स्थिति से कोई संबंध होता है, न ही इनमें दिखाई गई घटनाएं उस स्थान की होती हैं, जहां का दावा किया जा रहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर ‘लाइक्स’, ‘शेयर’ और ‘वायरलिटी’ की अंधी दौड़ में कुछ लोग सच्चाई से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे हैं। ऐसे कंटेंट को देखने वाले भी बिना सत्यता की जांच किए इसे आगे बढ़ा देते हैं, जिससे झूठी सूचनाएं और ज्यादा फैल जाती हैं।
साइबर सेल की निगरानी तेज
राज्य की साइबर सेल और खुफिया एजेंसियों ने ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। जो भी व्यक्ति या समूह जानबूझकर समाज में भ्रम फैलाने वाले वीडियो बना रहा है या फैला रहा है, उन्हें चिह्नित किया जा रहा है। कई ऐसे अकाउंट्स पहले ही ट्रैक किए जा चुके हैं, जिन पर अब कानूनी कार्यवाही तय है।
जनता से अपील
प्रशासन की ओर से लोगों से अपील की गई है कि वे सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही किसी भी जानकारी को आंख मूंदकर स्वीकार न करें। कोई भी वीडियो या खबर शेयर करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें। अफवाह फैलाना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि यह दंडनीय अपराध भी हो सकता है।
सच को पहचानिए, झूठ से बचिए।
एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा यह कर्तव्य है कि हम न केवल स्वयं जागरूक बनें, बल्कि दूसरों को भी सतर्क करें। अफवाहों के इस डिजिटल मायाजाल से बाहर निकलने का एकमात्र उपाय है—सत्य की पुष्टि और विवेकपूर्ण निर्णय।
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