उत्तराखंड की सांस्कृतिक सरजमीं से निकली एक नई आवाज़ — अजय मिश्रा, जिन्हें लोग इंस्टाग्राम पर Ajay Vocal के नाम से जानते हैं — ने हाल ही में एक भावुक वीडियो के ज़रिए उन सैकड़ों कलाकारों की पीड़ा को उजागर किया है जो पहचान पाने के संघर्ष में सिस्टम की बेरुखी से जूझ रहे हैं।
अजय ने बताया कि उन्हें हाल ही में अल्मोड़ा महोत्सव में शामिल होने का अवसर मिला, जहां गायन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने ₹300 शुल्क देकर पंजीकरण कराया। बाद में आयोजकों की ओर से उन्हें फोन कर बताया गया कि प्रतियोगिता में प्रतिभागी कम हैं और उनके गाने की गुणवत्ता को देखते हुए उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया है। वादा किया गया कि उन्हें मंच पर प्रस्तुति का मौका, ₹5000 नकद पुरस्कार, यात्रा भत्ता और भोजन-ठहराव की समुचित व्यवस्था दी जाएगी।
लेकिन जब अजय कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे, तो ज़मीनी हकीकत कुछ और ही निकली। होटल में ठहराव तो दिया गया, पर जब उन्होंने भोजन के लिए पूछा, तो कहा गया कि पास के एक रेस्टोरेंट में जाकर आयोजकों का नाम लेकर खाना खा लें। वहां पहुंचने पर उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि “खाना बना ही नहीं है”, जबकि पास बैठे अन्य मेहमानों को खाना परोसा जा रहा था। यह उनके लिए अत्यंत अपमानजनक अनुभव था।
और इनाम? बार-बार संपर्क करने के बाद अजय को मात्र ₹2000 दिए गए और साफ कह दिया गया कि “इनाम की कोई बात तय नहीं थी।”
अजय की यह व्यथा अब एक अकेली कहानी नहीं रही। उनके इस वीडियो को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिला है। हज़ारों फॉलोअर्स ने कलाकारों के साथ हो रहे इस अन्याय पर आक्रोश व्यक्त किया है। इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है — क्या उत्तराखंड में सिर्फ प्रसिद्ध चेहरों को ही मंच और सम्मान मिलेगा? नए कलाकारों की कोई कद्र नहीं?
यह मामला सिर्फ अजय का नहीं, बल्कि उन सभी उभरते कलाकारों का है जो अपने हुनर के दम पर पहचान चाहते हैं, लेकिन आयोजनों की अव्यवस्था और दिखावटी वादों के कारण उपेक्षा का शिकार होते हैं।
अब वक्त है कि सवाल आयोजकों और सरकारी तंत्र से पूछा जाए — क्या ये आवाज़ें अब भी अनसुनी रहेंगी?
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