बिग ब्रेकिंग:-यूकेडी के प्रत्याशी लड़ रहें चुनाव,लेकिन बड़े पदाधिकारी सीधे कांग्रेस के साथ,देखिए कांग्रेस के खिचड़ी कार्यक्रम की संभाली यूकेडी नेताओं ने कमान

हल्द्वानी : इस समय उत्तराखंड राज्य के अंदर नगर निकाय चुनाव चल रहा है और उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो लंबे आंदोलन के बाद मिला एवम इस आंदोलन को पर्वतीय राज्य बनाने के लिए आजाद भारत का सबसे बड़ा आंदोलन कहा जाता है और इस आंदोलन का नेतृत्व उत्तराखंड क्रांति दल ने किया था,इसके बाद लगभग 42 पहाड़ियों ने अपनी शहादत दी और अलग पर्वतीय राज्य उत्तराखंड बनाया लेकिन हमेशा दुर्भाग्य रहा है कि अलग राज्य की मांग करने वाला राजनीतिक क्षेत्रीय दल यूकेडी कभी सत्ता की तरफ नहीं बढ़ पाया और उसका कारण समय-समय पर अलग-अलग पाया गया है।

उत्तराखंड के नगर निकाय चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है और बात करें हल्द्वानी काठगोदाम नगर निगम चुनाव की तो यहां उत्तराखंड क्रांति दल ने स्वयं अपना प्रत्याशी महापौर पद के लिए उतारा हुआ है जो लगातार अपना प्रचार प्रसार कर रहे हैं,यूकेडी के वर्तमान प्रत्याशी हैं एडवोकेट मोहन कांडपाल।

लेकिन जनता के सामने हाशिए पर खड़ी यूकेडी के लिए चुनौती भाजपा कांग्रेस नहीं बल्कि उनके ही बड़े नेता बने हुए हैं राज्य का क्षेत्रीय दल यूकेडी आपसी मनमुटाव के कारण कमजोर हुई और इस मनमुटाव ने पूरे उत्तराखंड को कमजोर कर दिया,यह हमेशा कहा गया है।

 

इसका उदाहरण ताजा निकाय चुनाव का आप देख सकते हैं। 

यहां नैनीताल जनपद के पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश चंद्र भट्ट एवं केंद्रीय महामंत्री सुशील उनियाल आज कांग्रेस के पूर्व ब्लाक प्रमुख भोला दत्त भट्ट द्वारा आयोजित संकल्प बैंकट हॉल के सामने दिनभर खिचड़ी परोसते हुए नजर आए,जबकि वहीं दूसरी तरफ यूकेडी के मेयर प्रत्याशी मोहन कांडपाल एवं उनके समर्थक गलियों गलियों में चुनाव प्रचार कर रहे थे,यहीं नहीं उनके साथ यूकेडी के पार्षद प्रत्याशी रवि भी नजर आ रहें हैं,पहाड़पन में जब जानकारी निकाली तो पता चला हल्द्वानी में यूकेडी के 3 गुट बने हुए हैं और जो आज कांग्रेस के कार्यक्रम में नजर आएं वह गुट एक दिन भी यूकेडी के प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांगने नहीं निकलें।

 

अब बड़ा प्रश्न है कि यूकेडी जनता को गलियातें हुए तो सत्ता में न पहुंचने की बात करती है,लेकिन जब अपने ही दूसरे की खिचड़ी परोस रहे हो तो कैसे अपने घर का चूल्हा जले और अपने घर में खाना बनें।

इस वीडियो के बाद यह जरूर कह सकते हैं कि उत्तराखंड के भीतर तीसरे विकल्प की आवाज तो उठ रही है लेकिन विकल्प कभी उत्तराखंड क्रांति दल बन पाएगा यह सब देखने के बाद नहीं लगता।

 

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