चमोली (उत्तराखंड)।
उत्तराखंड के चमोली जनपद के कौब गांव (नारायणबगड़) निवासी राजेश को आखिरकार 15 वर्षों की बंधुआ मजदूरी से मुक्ति मिल गई है। पंजाब की एक गौशाला में उसे लंबे समय से जबरन मजदूरी कराई जा रही थी। सोशल मीडिया पर राजेश का एक वीडियो सामने आने के बाद यह मामला सामने आया, जिसमें उसने अपने साथ हो रहे उत्पीड़न की व्यथा सुनाई थी।
वीडियो वायरल होते ही पूरे उत्तराखंड में जनाक्रोश फैल गया। लोगों ने सोशल मीडिया पर इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ जमकर आवाज़ उठाई, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। चमोली के एसडीएम पंकज भट्ट की सक्रियता और पंजाब की रतनदेव नामक एक एनजीओ के सहयोग से राजेश को बंधन से मुक्त करवा लिया गया है।
राजेश के माता-पिता फिलहाल पंजाब पहुंच चुके हैं और राजेश अभी उन्हीं के साथ है। परिवार का कहना है कि राजेश वर्ष 2008 में लापता हो गया था, जिसकी रिपोर्ट भी पुलिस में दर्ज कराई गई थी। सवाल उठता है कि यदि गुमशुदगी की रिपोर्ट पहले से मौजूद थी, तो प्रशासन राजेश तक 15 वर्षों में क्यों नहीं पहुंच सका? यह एक गंभीर लापरवाही का संकेत है।
अब जब मामला सोशल मीडिया के माध्यम से जनता के सामने आया, तो संबंधित विभागों में हलचल मच गई और कार्रवाई शुरू हुई। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि जब जनता एकजुट होकर आवाज़ उठाती है, तो बड़े से बड़ा अन्याय भी खत्म किया जा सकता है।
राज्य सरकार से मांग की जा रही है कि राजेश को हर संभव सहायता प्रदान की जाए और जिन लोगों ने उसके साथ अत्याचार किया, उन पर सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
राजेश की रिहाई में योगदान देने वाले सभी जागरूक नागरिकों, सोशल मीडिया यूज़र्स और प्रशासनिक अधिकारियों को साधुवाद।
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