देहरादून। राजधानी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ थाना नेहरू कॉलोनी के पुलिसकर्मियों पर पूर्व फौजी की पत्नी और शिक्षिका संतोष रावत व उनकी बेटी के साथ मारपीट, गाली-गलौच और थर्ड डिग्री टॉर्चर जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
प्राप्त शिकायत के अनुसार, 13 अगस्त को कुछ पुलिसकर्मी पड़ोसियों के साथ मिलकर जबरन संतोष रावत के घर घुस आए और उनके साथ-साथ उनकी बेटी को भी मारपीट व गाली-गलौच का शिकार बनाया। महिला का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उनके मोबाइल फोन से वीडियो और फोटो तक डिलीट कर दिए और थाने ले जाकर उन्हें प्रताड़ित किया। इतना ही नहीं, पीड़िता का कहना है कि उनकी बेटी को लात-घूसों से पीटा गया और थर्ड डिग्री टॉर्चर भी दिया गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पीड़िता ने उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि पुलिसकर्मियों ने घर में तोड़फोड़ की, धमकियां दीं और यहां तक कहा कि यदि मामला बाहर निकला या मीडिया तक पहुँचा तो पीड़िता और उनकी बेटी को और बुरी तरह से फँसा दिया जाएगा।
इस घटना को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) ने कड़ा रुख अपनाया है। उक्रांद नेताओं का कहना है कि –
“पुलिसकर्मियों को बार-बार चेताया गया है कि आप कानून के रखवाले हैं, मगर यदि कानून को ताक पर रखकर गुंडागर्दी करेंगे तो आप भी अपराधी की श्रेणी में खड़े होंगे। यह बहसियाना कृत्य किसी भी सभ्य समाज में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
उक्रांद ने साफ कहा है कि पीड़ित शिक्षिका और उनकी बेटी को न्याय दिलाने के लिए हर कानूनी और संवैधानिक लड़ाई लड़ी जाएगी।
अब सबकी निगाहें महिला आयोग और डीजीपी उत्तराखंड पर हैं कि राजधानी देहरादून के इस गंभीर मामले में थाना नेहरू कॉलोनी के एसएचओ सहित सभी आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ क्या कड़ी कार्रवाई की जाती है।
सवाल साफ है – क्या पुलिस पर लगे इन गंभीर आरोपों पर सिर्फ लीपापोती होगी या पीड़ित मां-बेटी को न्याय मिलेगा?
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