गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने बिरजू मयाल का अनशन तुड़वाया: 6 मार्च को गैरसैण में स्वाभिमान महारैली में पहुँचने का किया आवाहन

उत्तराखंड के सम्मानित लोकगायक आदरणीय गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने हाल ही में युवा कार्यकर्ता बिरजू मयाल के अनशन को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बिरजू मयाल ने विधानसभा में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा पहाड़ियों के प्रति आपत्तिजनक शब्दों के प्रयोग के विरोध में अनशन प्रारंभ किया था। नेगी जी ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर मयाल को दूध पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया, जिससे इस आंदोलन को नई दिशा और ऊर्जा मिली।

 

नेगी जी का समर्थन – आंदोलन को नई ऊर्जा

उत्तराखंड के सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलनों के प्रमुख स्तंभ नरेंद्र सिंह नेगी हमेशा से जनभावनाओं की आवाज़ बने रहे हैं। उन्होंने अपने गीतों और रचनाओं के माध्यम से समाज को जागरूक किया है। जब बिरजू मयाल ने इस अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ अनशन किया, तो नेगी जी स्वयं आगे आकर उनका अनशन तुड़वाया और इस संघर्ष को मजबूती दी।

 

नेगी जी का यह कदम स्पष्ट करता है कि यह आंदोलन केवल एक व्यक्ति या संगठन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे उत्तराखंड के सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई है।

 

6 मार्च – गैरसैंण में सम्मान की निर्णायक लड़ाई

गैरसैंण में होने वाली “स्वाभिमान रैली” केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि उत्तराखंड की अस्मिता, सम्मान और पहाड़ी समाज के हक की लड़ाई का प्रतीक है। यह रैली यह स्पष्ट करेगी कि उत्तराखंड के लोग अपने आत्मसम्मान से कोई समझौता नहीं करेंगे और सत्ता से अपने अपमान का जवाब मांगेंगे।

 

अब सवाल यह है –

 

क्या सरकार प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर कार्रवाई करेगी?

 

क्या यह आंदोलन पहाड़ियों के सम्मान को वापस दिलाने में सफल होगा?

 

क्या जनता सड़कों पर उतरकर इस संघर्ष को निर्णायक मोड़ देगी?

 

 

6 मार्च को गैरसैंण में उत्तराखंड की अस्मिता की गूंज सुनाई देगी।

 

 

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