कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ अब किसान मंच के अध्यक्ष कार्तिक उपाध्याय ने भी हल्द्वानी कोतवाली में दी तहरीर

हल्द्वानी।

उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों विधानसभा में बोले गए अपशब्दों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब इस मामले में किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय भी खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ हल्द्वानी कोतवाली में तहरीर दी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।

कार्तिक उपाध्याय ने कहा कि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा जैसे गरिमामयी मंच से पर्वतीय समाज के लिए अपशब्द कहे, जो कि न केवल असंवैधानिक है, बल्कि पूरे पर्वतीय समाज के स्वाभिमान पर चोट पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा कि एक कैबिनेट मंत्री की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए समाज के हित में नीतियों का निर्माण करे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने विधानसभा के भीतर पर्वतीय समाज का अपमान किया।

सरकार की चुप्पी पर भी उठाए सवाल

किसान मंच के अध्यक्ष कार्तिक उपाध्याय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में पर्वतीय समाज मंत्री की बर्खास्तगी की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही। इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री धामी भी इस मुद्दे पर पर्वतीय समाज की उपेक्षा कर रहे हैं।

उत्तराखंड पुलिस से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग

कार्तिक उपाध्याय ने उत्तराखंड पुलिस से निष्पक्षता बरतने की अपील की और कहा कि सरकार के दबाव में आए बिना, तहरीर पर तय समय सीमा के भीतर मुकदमा दर्ज किया जाए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पुलिस इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करती, तो किसान मंच न्यायपालिका की ओर रुख करेगा और न्यायालय के माध्यम से मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएगा।

बढ़ता जन आक्रोश और उग्र होता विरोध

मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान को लेकर पहले से ही प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो चुका है। कई संगठनों और आम जनता ने इस बयान की निंदा करते हुए मंत्री की बर्खास्तगी की मांग की है। अब किसान मंच के सक्रिय होने से यह मुद्दा और गरमा गया है।

कार्तिक उपाध्याय ने साफ कहा कि यह मामला केवल माफी मांगने से खत्म नहीं होगा। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को अपने पद से इस्तीफा देना होगा या फिर सरकार को उन्हें बर्खास्त करना होगा।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और पुलिस इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं और क्या किसान मंच अपनी अगली रणनीति के तहत न्यायालय का रुख करेगा।

 

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