रिपोर्ट आयुष रावत
इन दिनों उत्तराखंड में किसी भी ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो वहां घूमते आवारा पशु सांड बछड़े आदि सड़क मे यमराज के रूप में रोड एक्सीडेंट और लोगो की मौतों का कारण बन रहें हैं,गांव के खेतों में घूमें तो किसान की फसल के दुश्मन बनें बैठे हैं और यहां हल्द्वानी में आवारा सांडों ने इस बार जो कष्ट दिया हैं वह किसान पुत्रों के आंदोलन को दिया हैं।
हल्द्वानी के भाबर क्षेत्र के ग्रामीण किसान पुत्र इन दिनों सरकार की एक बड़ी परियोजना हल्द्वानी फोरलेन रिंग रोड परियोजना को अपने खेतों से रद्द करने की मांग को लेकर रामलीला मैदान करना सेंटर रामपुर रोड में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन में 6 दिनों से बैठे हुए है ऐसे में देर शाम से ही आवारा पशुओं का जमावड़ा भारी संख्या में रामलीला मैदान में लगा रहता है जहां पर आंदोलनकारियों ने अपना टेंट लगाया हुआ है ये आवारा सांड यही लड़ते हैं और देर रात किसानों के खेतों में फसलों को नष्ट करने निकल पड़ते है, आज सवेरे जब आंदोलनकारी टेंट के नीचे बैठकर अखबार पढ़ रहे थे और चाय पी रहे थे तो अचानक दो सांड लड़ते हुए आए और उन्होंने टेंट की रस्सी खींचकर पूरा टेंट ही ध्वस्त कर डाला इन आवारा सांडों से किसानो के खेतों और सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान पुत्रों के टेंट को भी अब खतरा होने लगा है जहाँ आंदोलन चल रहा है वहां पर बैठे आंदोलनकारियों की जान माल को भी इससे खतरा हो सकता है क्योंकि आंदोलनकारियों की गाड़ी को भी कल इन्हीं आवारा सांडों द्वारा नुकसान पहुंचाया गया है।
आंदोलनकारियों ने लिखा SDM को पत्र
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष और किसान मकान बचाओ संघर्ष समिति ने जिला अधिकारी को पत्र लिखकर व्हाट्सएप के माध्यम से भिजवाया है कि जल्द ही रामलीला मैदान आंदोलन स्थल एवं ग्रामीण क्षेत्र से इन सभी आवारा पशुओं को पकड़कर ले जाएं यदि किसी भी आंदोलनकारी को इसे किसी भी तरह का शारीरिक नुकसान पहुंचता है तो उसकी पूर्ण रूप से जिम्मेदारी उनकी होगी।
आवारा पशुओ से बड़ती परेशानी, जिम्मेदार कौन?
वाकई बड़ा प्रश्न है कि एक तरफ अनेकों गौशालाएं जो गांव के अंदर ही बनती हैं लेकिन नगर निगम क्षेत्र के आवारा पशु तो उन गौशालाओं तक पहुंचा दिए जाते हैं परंतु ग्रामीण क्षेत्र में इन पशुओं ने जिस तरह से किसान और उनकी फसल को नष्ट करना शुरू किया है तो वहीं दूसरी तरफ यह रोड एक्सीडेंट में लोगों की मौत का कारण भी बन रहे हैं आखिर प्रशासन कब जागेगा यह एक बड़ा प्रश्न है और आंदोलन के बीच बैठे किसान पुत्रों को तो वाकई इससे बहुत बड़ा खतरा है ।
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