उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के खिलाफ पर्वतीय समाज के विरोध के पीछे कई कारण,लीव-इन रिलेशनशिप के प्रावधानों को लेकर भी भारी विरोध

उत्तराखंड में धामी सरकार द्वारा यूसीसी लागू कर दिया गया लेकिन धीरे धीरे उत्तराखंड के मूल निवासियों के बीच इस नए कानून को लेकर विरोध की आग जलने लगी हैं,पर्वतीय समाज को यह कानून अलग अलग तरह से नुकसान पहुंचा रहा उसमें से एक कारण लीव इन रिलेशनशिप भी माना जा रहा हैं आइए जानते हैं कारण

 

 

पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों से टकराव

उत्तराखंड का पर्वतीय समाज पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से विवाह संस्था को प्राथमिकता देता है। लीव-इन रिलेशनशिप को खुले रूप में मान्यता देने से सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

 

नैतिक और धार्मिक भावनाएँ

हिंदू, बौद्ध और अन्य परंपरागत समुदायों में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है। लीव-इन रिलेशनशिप को मान्यता देना, इस धार्मिक अवधारणा से टकराता है, जिससे लोग इसे अस्वीकार कर रहे हैं।

 

सामाजिक तानाबाना और परिवार व्यवस्था

पहाड़ी क्षेत्रों में संयुक्त परिवार प्रणाली अब भी प्रचलित है। लीव-इन रिलेशनशिप से परिवार संस्था पर असर पड़ने और समाज में अस्थिरता आने की चिंता जताई जा रही है।

 

महिलाओं और बच्चों के भविष्य की चिंता

विरोध करने वालों का मानना है कि लीव-इन रिलेशनशिप को वैधता देने से महिलाओं और उनके बच्चों को भविष्य में कानूनी व सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

 

बाहरी प्रभावों का विरोध

पर्वतीय समाज को लगता है कि लीव-इन रिलेशनशिप जैसी अवधारणाएँ मुख्य रूप से पश्चिमी संस्कृति से आई हैं, जो उनके पारंपरिक मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं। इसलिए इसे थोपे जाने का विरोध किया जा रहा है।

 

कानून का दुरुपयोग होने की आशंका

कुछ लोगों को लगता है कि लीव-इन रिलेशनशिप को कानूनी दर्जा मिलने से कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर सकते हैं, जिससे सामाजिक और नैतिक समस्याएँ बढ़ सकती हैं।

 

सरकार और समाज के बीच संवाद की जरूरत

UCC के अन्य प्रावधानों की तरह, लीव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी सरकार और समाज के बीच संतुलित चर्चा की जरूरत है,ताकि सभी पक्षों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कोई ठोस निर्णय लिया जा सके।

 

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