उत्तराखंड राज्य के युवा आंदोलनकारी और किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने अपने फेसबुक पेज पर एक भावुक और सशक्त पोस्ट के माध्यम से राज्य के मौजूदा राजनीतिक माहौल और युवाओं के प्रति हो रहे अन्याय पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की है, उन्होंने अपने बयान में राज्य के निर्माण के लिए किए गए संघर्ष और बलिदानों को याद दिलाते हुए कुछ नेताओं और व्यक्तियों की आलोचना की,जिन्होंने आंदोलनकारियों की भावनाओं को आहत किया है।
संघर्ष और बलिदान की याद
कार्तिक उपाध्याय ने अपने बयान में कहा,
“हमने उत्तराखंड राज्य के नव निर्माण के लिए अपने खून-पसीने से संघर्ष किया,हमारी लड़ाई केवल एक मंच के लिए नहीं थी, बल्कि एक ऐसे भविष्य के लिए थी जो युवाओं के सपनों और आत्मसम्मान को साकार कर सके।”
उन्होंने साफ तौर पर यह जताया कि राज्य का निर्माण केवल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि युवाओं के उज्ज्वल भविष्य और आत्मसम्मान के लिए हुआ था।
मंच की राजनीति पर सवाल
कार्तिक ने कुछ नेताओं और कलाकारों की हरकतों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा,
“जो कलाकार कभी आंदोलनकारियों को ‘नल्ला बेरोजगार’ कहकर अपमानित करती थीं,आज उन्हीं के साथ आंदोलनकारी नेता मंच साझा कर रहे हैं। यह न केवल हमारे संघर्षों का अपमान है, बल्कि उन सैकड़ों आंदोलनकारियों युवाओं की भावना का भी अपमान है जिन्होंने अपनी युवा उम्र और सरकारी भर्ती की तैयारी के समय इन नेताओं के साथ स्वयं पर मुकदमें दर्ज कराकर अपने भविष्य के लिए एक बड़े खतरे से भरे रास्ते को चुना।”
यह बयान उन नेताओं पर सीधा सवाल उठाता है जिन्होंने आंदोलन के मूल आदर्शों और संघर्षों को भुलाकर निजी स्वार्थ और राजनीति के कारण अपने ही सहयोगियों का अपमान किया।
युवाओं के आत्मसम्मान पर चोट
कार्तिक ने स्पष्ट रूप से यह चेतावनी दी कि उत्तराखंड का युवा अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करने को तैयार नहीं है। उन्होंने लिखा,
“जिन नेताओं ने युवाओं और आंदोलनकारियों की भावनाओं को ठुकराया है, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि उत्तराखंड का युवा इसे सहन नहीं रहेगा। हमारा अपमान हमारे आत्मसम्मान पर चोट है, और इसका जवाब समय आने पर उत्तराखंड का युवा देगा।”
उनका यह बयान दर्शाता है कि राज्य के युवा अपने संघर्षों और मूल्यों को बचाने के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
संघर्ष अब भी जीवित है
अपने बयान के अंत में कार्तिक उपाध्याय ने युवाओं को यह भरोसा दिलाया कि उनका संघर्ष आज भी जारी है। उन्होंने कहा,
“हमारा संघर्ष आज भी जीवित है और रहेगा। यह लड़ाई किसी मंच, किसी व्यक्ति या राजनीति के लिए नहीं, बल्कि उत्तराखंड के उस गौरव और उन मूल्यों के लिए है, जिनके लिए यह राज्य बना। हमने पहले भी अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और आगे भी लड़ते रहेंगे।”
निष्कर्ष
कार्तिक उपाध्याय का यह बयान उत्तराखंड के युवाओं और आंदोलनकारियों की आवाज़ है। यह न केवल उन संघर्षों की याद दिलाता है, जो राज्य के नव निर्माण के लिए बीते समय में मिलकर किए गए, बल्कि वर्तमान समय में हो रहे अनदेखे अन्याय के प्रति चेतावनी भी देता है,उनका यह बयान स्पष्ट रूप से दिखाता है कि उत्तराखंड का युवा अपने गौरव और आत्मसम्मान के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।
“आंदोलनकारी किसान पुत्र” का यह संदेश राज्य के युवाओं के भीतर एक नई ऊर्जा भरने का काम कर सकता है और भविष्य में एक सकारात्मक नेताओं को चुनने की उम्मीद जगा सकता है,सही नेताओं की पहचान करने में सहायक हो सकता हैं।
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