टिहरी: उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक मुद्दों पर व्यापक चर्चा के लिए 2 मार्च 2025 को ‘भू भूम्याल जागृति मंच, टिहरी’ के तत्वावधान में ‘उत्तराखंड के भविष्य पर मंथन’ विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी आयोजित की गई। यह कार्यक्रम होटल भरतमंगलम, बौराड़ी, नई टिहरी में संपन्न हुआ, जिसमें विधायक, समाजसेवी, पत्रकार, अधिवक्ता, राज्य आंदोलनकारी और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
संगोष्ठी का शुभारंभ वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष उमेश चरण गुसाईं सहित अन्य अतिथियों द्वारा राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
प्रमुख विषयों पर गहन चर्चा
इस संगोष्ठी में उत्तराखंड से जुड़े विभिन्न नीतिगत और सामाजिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल रहे:
मूल निवास प्रमाणपत्र और भू-कानून – राज्य में बाहरी लोगों की बढ़ती बसावट को नियंत्रित करने और स्थानीय निवासियों के अधिकार सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
परिसीमन और पलायन – पहाड़ी क्षेत्रों से निरंतर हो रहे पलायन को रोकने के लिए ठोस नीति तैयार करने की मांग उठी।
रोजगार और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया – युवाओं को राज्य में रोजगार के अवसर प्रदान करने और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
मानव-वन्यजीव संघर्ष – जंगली जानवरों द्वारा खेती-किसानी को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत पर चर्चा हुई।
स्थायी राजधानी का मुद्दा – गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग एक बार फिर से प्रमुखता से उठाई गई।
विशेष राज्य का दर्जा (अनुच्छेद 371) – उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने और स्थानीय संस्कृति एवं संसाधनों के संरक्षण हेतु संवैधानिक प्रावधानों की आवश्यकता पर बल दिया गया।
आपदा प्रबंधन और जिला विकास प्राधिकरण – भूस्खलन व अन्य आपदाओं से बचाव के लिए प्रभावी रणनीतियों की जरूरत को रेखांकित किया गया, वहीं जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करने की भी मांग उठी।
टिहरी बांध में राज्य की हिस्सेदारी – टिहरी जल विद्युत परियोजना में उत्तराखंड को समुचित आर्थिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
संगोष्ठी में भाग लेने वाले प्रमुख व्यक्तित्व
इस संगोष्ठी में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तियों ने सहभागिता की, जिनमें शामिल रहे:
विधायक किशोर उपाध्याय (टिहरी) एवं विधायक विक्रम सिंह नेगी (प्रतापनगर)
दून डायलॉग के संयोजक अभिनव थापर
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता बीना साजवान
वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन चौहान, महिपाल नेगी एवं गजेंद्र रावत
बेरोजगार संघ के संयोजक बॉबी पंवार
उत्तराखंड एकता मंच के संयोजक अनूप बिष्ट
उत्तराखंड जन जागृति संस्थान के अध्यक्ष अरण्य रंजन
मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति के सचिव प्रांजल नौडियाल
टिहरी बांध प्रभावित जनसमूह संघर्ष समिति के अध्यक्ष बलदेव कुमाईं
इसके अतिरिक्त, नगर पालिका अध्यक्ष मोहन सिंह रावत, नागरिक मंच के अध्यक्ष सुंदरलाल उनियाल, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में जागरूक नागरिक भी इस महत्वपूर्ण विचार-विमर्श का हिस्सा बने।
युवाओं की भागीदारी और नीतिगत मांगें
संगोष्ठी में युवाओं को अपने अधिकारों और स्थानीय मुद्दों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता पर बल दिया गया। वक्ताओं ने सरकार से मजबूत भू-कानून लागू करने, स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने और पलायन रोकने के लिए प्रभावी नीतियां बनाने की अपील की।
कार्यक्रम के संयोजक देवेंद्र नौडियाल और सह-संयोजक अमित पंत ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह आयोजन उत्तराखंड में एक नए जन-जागरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
संगोष्ठी का समापन वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं मंच के संरक्षक डॉ. राकेश भूषण गोदयाल के विचारों के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि यह मंच केवल एक चर्चा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उत्तराखंड के भविष्य को लेकर एक ठोस कार्ययोजना तैयार करने का प्रयास किया जाएगा।
समूह चर्चा से नीति निर्माण तक: आगे की राह
2 मार्च 2025 को आयोजित इस संगोष्ठी ने उत्तराखंड के भविष्य और उसकी चुनौतियों को लेकर एक नई बहस की शुरुआत की है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और प्रशासन इन ज्वलंत मुद्दों पर किस प्रकार की कार्यवाही करता है और नीति-निर्माण में इन सुझावों को कितना शामिल किया जाता है।
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