उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इस कानून की आलोचना करते हुए इसे हिंदू परंपराओं और संस्कारों पर चोट करार दिया है। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से राज्य सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोला, जिस पर भाजपा समर्थकों ने उन्हें निशाने पर लिया।
हरीश रावत की मुख्य आपत्तियाँ
1. सनातन धर्म और विवाह की परंपराएँ
हरीश रावत के अनुसार, हिंदू धर्म में विवाह जन्म-जन्मांतर का संबंध माना जाता है, जिसमें वैदिक परंपराओं और सामाजिक नियमों का पालन होता है। उन्होंने कहा कि UCC विवाह की इस पवित्र अवधारणा को कमजोर करेगा, क्योंकि यह विवाह और व्यक्तिगत संबंधों से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को प्रभावित करेगा।
2. लिव-इन रिलेशनशिप और ‘लव जिहाद’
रावत ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ‘लव जिहाद’ की बहस से आगे बढ़कर ‘लिव-इन रिलेशनशिप जिहाद’ की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इस कानून के जरिए लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी गई है, जो भारतीय समाज की पारंपरिक नैतिकता के खिलाफ है।
3. राखी और परिवार व्यवस्था पर असर
उन्होंने रक्षाबंधन का उदाहरण देते हुए कहा कि सनातन धर्म में बहन-भाई के संबंधों की गहरी परंपरा रही है। यह संबंध समाज में पारिवारिक मूल्यों की रक्षा करता है। उनके अनुसार, UCC के प्रभाव से पारिवारिक संबंधों और मूल्यों पर गहरा असर पड़ सकता है।
4. संयुक्त परिवार और कृषि पर प्रभाव
रावत ने यह भी कहा कि उत्तराखंड में कई क्षेत्रों में संयुक्त परिवार व्यवस्था और कृषि आधारित समाज की अवधारणा बहुत महत्वपूर्ण है। उनके मुताबिक, UCC इस व्यवस्था को धीरे-धीरे कमजोर करेगा, जिससे पारंपरिक भूमि और संपत्ति व्यवस्था भी प्रभावित होगी।
5. उत्तराखंड से बाहर रहने वाले प्रवासियों पर प्रभाव
हरीश रावत ने चिंता जताई कि उत्तराखंड का एक बड़ा हिस्सा देश के अन्य हिस्सों में प्रवासी के रूप में रहता है। अब सवाल यह उठता है कि UCC का उनके विवाह, संपत्ति और पारिवारिक मामलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर अभी स्पष्टता नहीं है।
भाजपा का पलटवार
हरीश रावत की इस पोस्ट पर भाजपा नेताओं और समर्थकों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस केवल वोटबैंक की राजनीति कर रही है और समान नागरिक संहिता का विरोध करना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। भाजपा का तर्क है कि UCC सभी नागरिकों के लिए समान कानून की व्यवस्था करता है, जिससे समाज में एकरूपता आएगी और यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा।
क्या है UCC और क्यों है विवाद?
समान नागरिक संहिता (UCC) देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की अवधारणा है, जिसमें विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति से जुड़े कानूनों को धर्म-निरपेक्ष बनाया जाता है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने इसे लागू किया है।
हरीश रावत के इस बयान के बाद यह साफ है कि UCC को लेकर राज्य में राजनीतिक बहस और टकराव तेज होगा। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर जनता के बीच कितनी मजबूती से अपनी बात रख पाती है, और भाजपा इस पर कैसे जवाब देती है।
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