उत्तराखण्ड के पहाड़ अपनी अद्भुत सुंदरता, शांति और संस्कृति के लिए जाने जाते हैं। लेकिन यही पहाड़ कभी-कभी ऐसी त्रासदी भी लेकर आते हैं, जिन्हें शब्दों में बयां करना मुश्किल हो जाता है।
चमोली जिले की थराली तहसील का सगवाड़ा गाँव, जो अपनी परंपराओं, मेले-ठेलों और सादगी भरे जीवन के लिए जाना जाता है, 22 अगस्त 2025 की रात मातम में डूब गया। आधी रात को बादल फटने और मूसलाधार बारिश के कारण भारी मलबा गाँव में घुस आया। देखते ही देखते कई घर, खेत और रास्ते इसकी चपेट में आ गए।
इसी मलबे में गाँव की 20 वर्षीय बेटी कानु दब गई। कानु, जो अभी जीवन की शुरुआत ही कर रही थी, जिसके सपने अधूरे रह गए। जिसकी हंसी ने गाँव की गलियों को रौशन किया था, वही मासूम बेटी प्रकृति के इस कहर में काल के गाल में समा गई।
गाँववालों का कहना है कि कानु बचपन से ही सरल, हंसमुख और सबकी चहेती थी। उसकी असमय मौत से न केवल सगवाड़ा गाँव, बल्कि पूरा थराली क्षेत्र गहरे शोक में है।
यह त्रासदी हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि पहाड़ों की खूबसूरती के बीच छिपा खतरा कभी भी जिंदगी को पलभर में बदल सकता है।
– आयुष रावत ,पहाड़पन न्यूज
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