उत्तराखंड के रानीखेत विधानसभा क्षेत्र में पंचायत चुनाव को लेकर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है, जिसमें त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एक ही परिवार द्वारा बड़ी संख्या में नामांकन दाखिल करने का दावा किया गया है। पोस्ट को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल है, क्योंकि इसमें सीधे तौर पर किसी नेता का नाम न लेते हुए परिवारवाद का आरोप लगाया गया है, परंतु सोशल मीडिया पर इसे भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल से जोड़कर देखा जा रहा है।
वायरल हो रही इस पोस्ट में कहा गया है कि एक ही परिवार के विभिन्न सदस्यों ने क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) की 19 सीटों से नामांकन दाखिल किया है। इनमें विधायक की धर्मपत्नी, भाई, भांजे, बहन और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम शामिल बताए जा रहे हैं। हालांकि पोस्ट में कहीं भी किसी व्यक्ति या नेता का स्पष्ट नाम नहीं लिखा गया है, लेकिन सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग इस पोस्ट को रानीखेत के वर्तमान भाजपा विधायक से जोड़कर टिप्पणी कर रहे हैं।
पोस्ट में दावा किया गया है कि विधायक की धर्मपत्नी ने दो सीटों से, छोटे भाई (लल्ला) ने दो सीटों से, तीन भांजों ने दो-दो सीटों से, भाई की धर्मपत्नी ने एक सीट से (जिसमें वह निर्विरोध विजयी हुईं), बड़ी बहन ने दो सीटों से और तीनों भांजों की पत्नियों ने भी दो-दो सीटों से नामांकन किया है। कुल मिलाकर एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा 19 नामांकन दाखिल किए जाने की बात कही गई है।
इस पोस्ट को दीपक करगेती नामक एक व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किया गया है, जिसमें उन्होंने अपील की है कि लोग इस “परिवारवाद” के विरुद्ध खड़े हों और पंचायत चुनाव में स्वतंत्र, ईमानदार और योग्य प्रतिनिधियों का चुनाव करें। करगेती ने पोस्ट में लिखा है कि यदि इस परिवार के सभी सदस्य निर्वाचित होते हैं तो ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर भी उनकी दावेदारी सुनिश्चित हो जाएगी।
पोस्ट में यह भी टिप्पणी की गई है कि भारतीय जनता पार्टी अक्सर कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती रही है, लेकिन अब खुद उसी रास्ते पर चलती दिख रही है। हालांकि यह केवल करगेती की टिप्पणी है और इसका कोई आधिकारिक आधार प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस बयान में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक ही व्यवस्था के हिस्से बन चुके हैं और उद्योगपतियों के प्रभाव में काम करते हैं।
सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को लेकर तीखी बहस चल रही है। कई लोग इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजाक बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ साजिश के रूप में भी देख रहे हैं। रानीखेत क्षेत्र के कई स्थानीय नागरिकों ने भी इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए आश्चर्य जताया है कि पंचायत जैसे बुनियादी लोकतांत्रिक चुनाव में भी इस प्रकार का राजनीतिक वर्चस्व और पारिवारिक दखल देखने को मिल रहा है।
अब तक इस पूरे मामले पर विधायक प्रमोद नैनवाल या भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न ही नामांकन से संबंधित दस्तावेज या निर्वाचन आयोग की ओर से कोई स्पष्ट विवरण साझा किया गया है, जिससे इन दावों की पुष्टि की जा सके।
फिलहाल यह साफ है कि पंचायत चुनाव, जिसे लोकतंत्र की नींव कहा जाता है, अब राजनीति में वंशवाद और प्रभाव की नई लड़ाई का मंच बनता जा रहा है। इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जनता अपने प्रतिनिधि खुद चुनेगी, या फिर राजनीति केवल चुनिंदा परिवारों तक ही सिमट कर रह जाएगी।
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