‘मिया’ कोई मजहबी पहचान नहीं, बल्कि उत्तराखंड की मूल जाति — विरोध के बाद मुख्यमंत्री ने नाम परिवर्तन का आदेश किया रद्द
देहरादून, 5 अप्रैल 2025 — उत्तराखंड के देहरादून ज़िले स्थित ग्राम मियावाला का नाम हाल ही में बदलकर ‘रामजीवाला’ रखा गया था। लेकिन जैसे ही यह निर्णय सार्वजनिक हुआ, पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया। स्थानीय निवासियों ने इस नाम परिवर्तन को अपनी सांस्कृतिक अस्मिता और पहचान पर हमला बताया, जिसके विरोध में ग्रामवासियों ने खुलकर आवाज़ उठाई।
ग्रामवासियों का स्पष्ट कहना है कि ‘मियावाला’ नाम में प्रयुक्त ‘मिया’ शब्द को कुछ लोगों द्वारा गलत तरीके से मुसलमानों से जोड़ा गया, जबकि वास्तविकता यह है कि ‘मिया’ उत्तराखंड की एक प्राचीन एवं मूल जाति है, जो राज्य के विभिन्न जिलों जैसे देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी और नैनीताल में निवास करती है। यह जाति प्रदेश की संस्कृति और समाज का अभिन्न हिस्सा है।
नाम परिवर्तन के विरुद्ध उठी आवाज़ों को बल तब मिला जब ग्राम मियावाला के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व ग्राम प्रधान श्री कुलदीप चौहान के नेतृत्व में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की। प्रतिनिधिमंडल ने बिना ग्रामसभा की सहमति लिए हुए नाम बदलने पर नाराज़गी जताई और पुराना नाम पुनः बहाल करने की मांग की।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों की भावनाओं का सम्मान करते हुए तुरंत नाम परिवर्तन के निर्णय को निरस्त करने के आदेश दिए। सचिव स्तर पर निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि मियावाला का नाम यथावत रखा जाए।
ग्रामवासियों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया। प्रतिनिधिमंडल में कुलदीप चौहान, महेन्द्र सिंह, सतीश शर्मा, रेखा बहुगुणा, निशा परमार, देवेंद्र चौहान, मनीष सिंह, फिरोज सिंह समेत 18 प्रमुख ग्रामवासी शामिल थे।
यह मामला न केवल एक गांव के नाम की लड़ाई थी, बल्कि यह उत्तराखंड की जातीय पहचान और सांस्कृतिक गरिमा को बनाए रखने का भी प्रतीक बन गया है।
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