“यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो प्राणों के जाने की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार की होगी” आंदोलनकारियों की चेतावनी
गैरसैंण।
उत्तराखंड के गैरसैंण में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की बर्खास्तगी की मांग को लेकर तीन आंदोलनकारी भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार उनकी आवाज को अनसुना कर रही है। आंदोलनकारियों में पूर्व सैनिक भुवन सिंह कठायत, किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय और सैनिक पुत्री कुसुम लता बौड़ाई शामिल हैं।
तीनों आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानती, वे पीछे नहीं हटेंगे,उन्होंने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपने खून से पत्र लिखने का निर्णय लिया है। ।
उनका कहना है कि यदि उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार ने जल्द ही मंत्री को बर्खास्त नहीं किया तो उनकी जान जाने की जिम्मेदारी सीधे सरकार की होगी।
आंदोलनकारियों का सीधा सवाल, क्या उत्तराखंड में पर्वतीय समाज का अपमान जायज है?
आंदोलनकारी किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने स्पष्ट शब्दों में कहा
“हम एक सैनिक, एक किसान पुत्र और सैनिक पुत्री के रूप में अपनी आखिरी सांस तक संघर्ष करेंगे, प्रेमचंद अग्रवाल ने पूरे पहाड़ी समाज का अपमान किया है, लेकिन सरकार मौन है। यदि सरकार ने हमारी मांग को नहीं माना तो हम प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। हमारा खून उत्तराखंड की मिट्टी में बहेगा, और इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार की होगी।”
गैरसैंण में जनता का आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है। लोग आंदोलनकारियों के समर्थन में उतरने लगे हैं और सरकार की चुप्पी पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
क्या सरकार की नींद टूटेगी या फिर एक और बलिदान झेलेगा उत्तराखंड?
अब यह देखना होगा कि उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार आंदोलनकारियों की आवाज को सुनती है या नहीं। यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो यह आंदोलन और भी उग्र हो सकता है।
क्या सरकार आंदोलनकारियों की चेतावनी को गंभीरता से लेगी? या फिर उत्तराखंड एक और क्रांतिकारी आंदोलन का गवाह बनेगा?
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