कैबिनेट बैठक में 33 प्रस्तावों पर मुहर, सड़क सुरक्षा से लेकर पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ोतरी तक लिए गए बड़े फैसले

देहरादून।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में कुल 33 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। बैठक में सड़क सुरक्षा नीति 2025, परिवहन सुधार, पूर्व विधायकों की पेंशन वृद्धि, वनाग्नि रोकथाम, रोपवे निर्माण समेत कई अहम निर्णय लिए गए।

 

कैबिनेट के प्रमुख फैसले:

 

1. सड़क सुरक्षा नीति 2025

उत्तराखंड में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए नई रोड सेफ्टी पॉलिसी को मंजूरी दी गई।

 

पर्वतीय क्षेत्रों में 11 नए एआरटीओ पदों का सृजन होगा।

 

50% पद पदोन्नति और 50% पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे।

 

हर सड़क दुर्घटना की गहन जांच होगी और संबंधित विभाग की जवाबदेही तय की जाएगी।

 

खराब सड़कें – PWD जिम्मेदार।

 

ड्रिंक एंड ड्राइव – स्थानीय और यातायात पुलिस की जवाबदेही।

 

ओवरलोडिंग व बिना परमिट वाहन – परिवहन विभाग पर जिम्मेदारी।

 

 

 

2. परिवहन सुधार

 

पर्वतीय क्षेत्रों में अनुबंधित बस परमिट समाप्त करने का निर्णय।

 

परिवहन निगम खुद बसों का संचालन करेगा, नई बसें खरीदी जाएंगी।

 

 

3. पूर्व विधायकों की पेंशन में बढ़ोतरी

 

पूर्व विधायकों की पेंशन ₹40,000 से बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई।

 

अब हर साल ₹3,000 की बढ़ोतरी होगी (पहले ₹2,500 बढ़ाई जाती थी)।

 

विधायकों के पेट्रोल भत्ते में भी इजाफा।

 

 

4. वनाग्नि रोकथाम के लिए कदम

 

वनाग्नि रोकथाम के लिए गठित समितियों को ₹30,000 प्रति समिति देने का निर्णय।

 

वन पंचायतों और मंगल दलों को भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी।

 

 

5. लैंड बैंक और टाउनशिप निर्माण

 

राज्य में दो नई टाउनशिप के लिए लैंड बैंक बनाया जाएगा।

 

खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में सुनियोजित टाउनशिप नीति लागू होगी।

 

खुरपिया फार्म की भूमि को आवासीय उपयोग के लिए मंजूरी।

 

 

6. केदारनाथ और हेमकुंड साहिब में रोपवे निर्माण

 

रोपवे परियोजनाओं की डीपीआर भारत सरकार को भेजने का निर्णय।

 

 

7. सैनिक कल्याण विभाग को मुफ्त भूमि

 

सैनिक कल्याण विभाग को निशुल्क भूमि उपलब्ध कराने का निर्णय।

 

 

8. निर्वाचन विभाग का पुनर्गठन

 

निर्वाचन विभाग की संरचना सुधार और पुनर्गठन को मंजूरी।

 

 

9. बजट प्रस्तावों को मंजूरी

 

आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट प्रस्तावों को स्वीकृति।

 

पर्यटन, उद्योग, ऊर्जा और आवास विभाग के विभिन्न प्रस्तावों पर सहमति दी गई।

 

 

पहाड़ों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

 

पूर्व विधायकों की पेंशन में बढ़ोतरी पर जनता की प्रतिक्रिया

राजनीति में पैसों की बढ़ती धारा को लेकर जनता के बीच एक बार फिर नाराजगी देखने को मिल रही है। हाल ही में पूर्व विधायकों की पेंशन ₹40,000 से बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है, और अब हर साल ₹3,000 की बढ़ोतरी होगी (पहले ₹2,500 बढ़ाई जाती थी)। इसके साथ ही विधायकों के पेट्रोल भत्ते में भी बढ़ोतरी की गई है।

जनता की राय:

आम जनता पर बोझ: सोशल मीडिया पर कई लोगों का कहना है कि जब जनता महंगाई से जूझ रही है, बेरोजगारी बढ़ रही है, तब विधायकों की पेंशन और भत्तों में बढ़ोतरी अन्यायपूर्ण है।

किसानों और कर्मचारियों के लिए राहत कब? कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि जब सरकारी कर्मचारी, शिक्षक और किसान अपनी पेंशन और वेतन वृद्धि के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब विधायकों को इतनी राहत क्यों?

राजनीति में सेवा या फायदा? कई यूजर्स का मानना है कि विधायक राजनीति को “जनसेवा” के बजाय “कमाई का साधन” बना रहे हैं। जनता के लिए विकास कार्य धीमे पड़ जाते हैं, लेकिन खुद के फायदे के लिए तुरंत फैसले ले लिए जाते हैं।

युवा पीढ़ी को क्या मिल रहा? युवाओं का कहना है कि उन्हें रोजगार तक नहीं मिल रहा, लेकिन राजनीति में एक बार पहुंचने वाले को जिंदगीभर पेंशन मिलती है।

सरकार की सफाई:

सरकार का तर्क है कि महंगाई के चलते पूर्व विधायकों की पेंशन में बढ़ोतरी की गई है। उनका कहना है कि यह फैसला विधायकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है।

लेकिन सवाल ये उठता है— क्या जनता की जरूरतें और परेशानियां भी सरकार के लिए इतनी ही अहम हैं? आपकी क्या राय है? हमें मेसेज कर के अवश्य बताएँ

 

 

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