कल उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष आंदोलकारी नेता बॉबी पंवार कुमाऊं दौरे के बीच राजनीतिक मंच पर कलाकार श्वेता माहरा के साथ मंच पर दिखें,इस दौरान कुमाऊं से उनके साथ कुमाऊं संयोजक भूपेंद्र कोरंगा शामिल थे उनके नेतृत्व और दिशा निर्देशों में आंदोलकारी नेता बॉबी पंवार कुमाऊं दौरे में हैं,लेकिन श्वेता माहरा द्वारा पूर्व में आंदोलकारी युवाओं के लिए दिए बयान के बाद से युवा आक्रोशित थे और बॉबी भूपेंद्र सहित त्रिभुवन चौहान द्वारा तीखी प्रतिक्रिया उस दौरान दी थी लेकिन आज मंच पर साथ दिखने के बाद एक नई जंग छिड़ गई हैं,कार्तिक उपाध्याय ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया थी थी अब कुमाऊं क्षेत्र के दूसरे युवा आंदोलनकारी पीयूष जोशी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दो हैं।
पहाड़पन को उन्होंने कहा
व्यक्तिगत तौर पर किसी भी कलाकार के प्रति हमारा विरोध नहीं है,क्योंकि कलाकार समाज का वह हिस्सा हैं जो अपनी कला के माध्यम से संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखते हैं। परंतु उत्तराखंड में बीते वर्ष के के दिनों में एक कलाकार श्वेता माहरा द्वारा की गई टिप्पणियां और व्यवहार,जो कि उत्तराखंडी संस्कृति और उत्तराखंडियत के खिलाफ प्रतीत होते हैं, न केवल चिंताजनक हैं बल्कि अस्वीकार्य भी हैं।
हाल ही में मंगलेश डंगवाल का मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के सामने रोते हुए यह कहना कि उन्हें धमकियां दी जा रही हैं और उनकी मां के बारे में अनर्गल बातें फैलाई जा रही हैं, अत्यधिक गंभीर है,परंतु इसके बावजूद उनका कोई तहरीर न देना और इस मुद्दे का राजनीतिक रूप से उपयोग करना,इस पूरे प्रकरण को संदेहास्पद बनाता है। इसी प्रकार, जब मूल निवास भू-कानून संघर्ष समन्वय समिति ने आंदोलन का आह्वान किया था, तो कुछ राजनीतिक दलों के प्रभाव में आकर श्वेता महारा ने आंदोलनकारियों को अपमानित करते हुए उन्हें “नल्ला बेरोजगार” कहा था। बाद में उन्होंने फेसबुक लाइव के माध्यम से सफाई दी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ कि ऐसा बयान क्यों दिया गया।
यह ध्यान देने योग्य है कि उस समय सभी आंदोलनकारियों, जिनमें बॉबी पंवार, भूपेंद्र कोरंगा त्रिभुवन चौहान कार्तिक उपाध्याय और अन्य शामिल थे, ने इस बयान की कड़ी आलोचना की थी,यह भी चर्चा का विषय रहा है कि आंदोलनकारियों के श्वेता का विरोध के कारण ही मुख्यमंत्री पर मीम बनाने वाले आयुष रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।
ऐसी घटनाएं स्पष्ट रूप से यह दिखाती हैं कि कलाकारों को अपने शब्दों और व्यवहार के प्रति अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए।
हालांकि,श्वेता महारा से हमारी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, लेकिन एक लोक कलाकार होने के नाते उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने शब्दों और कार्यों से समाज को सकारात्मक संदेश दें, कलाकारो के लाखों अनुयायी होते हैं, और उनके एक-एक शब्द का व्यापक प्रभाव पड़ता है, यदि कलाकार केवल सुर्खियों में बने रहने के लिए विवादास्पद बयान देते हैं, तो यह न केवल समाज को भ्रमित करता है, बल्कि उनकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।
इसीलिए,श्वेता महारा से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और अपने बयान पर स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता थी, जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक उनके साथ मंच साझा करना उन युवाओं और आंदोलनकारियों का अपमान है,जो अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं,बीते दिनों जब मोहित डिमरी ने भू-कानून और मूल निवास पर कोई ठोस काम न होने पर हरीश रावत के हाथों सम्मान लेने से इनकार किया था,तो यह एक साहसिक कदम था।
ठीक उसी तरह, श्वेता महारा से भी जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा की जाती है।
कलाकारों को यह समझना चाहिए कि उनके कृत्य और शब्द न केवल उनकी पहचान का हिस्सा हैं, बल्कि समाज और संस्कृति पर भी प्रभाव डालते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझें और अपने शब्दों और कार्यों से समाज को सकारात्मक दिशा दें।
आंदोलकारी नेताओं का इस तरह मंच पर साथ रहना भविष्य के आंदोलनों को कमजोर करेगी,और एक सकारात्मक दिशा में राज्य नहीं आगे बढ़ पाएगा,यह वाकई बॉबी पंवार द्वारा गलती की गई हैं आंदोलनकारियों को आहत किया हैं वह भी राजनीति के लिए।
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