बॉबी पंवार और साथियों की बागेश्वर उपचुनाव में गिरफ्तारी प्रकरण पर नैनीताल कोर्ट में सुनवाई,जानिए क्या क्या हुआ

रिपोर्ट आयुष रावत

उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार और उनके चार साथियों कार्तिक उपाध्याय,राम कंडवाल,भूपेंद्र कोरंगा,नितिन दत्त को बागेश्वर उपचुनाव के दौरान पुलिस द्वारा जबरन गिरफ्तार कर लिया गया था और देर शाम बागेश्वर कोर्ट द्वारा बॉबी पवार और उनके चारों गिरफ्तार साथियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

इसको लेकर बॉबी पवार और साथियों द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी,जिसमें पूर्व में हुई पहली सुनवाई में न्यायालय ने कहा था कि आखिर क्यों लोकतंत्र में इस तरह की गिरफ्तारी पुलिस द्वारा की जा रही है और क्यों ना इसकी सुनवाई राज्य स्थापना दिवस पर रखी जाए,परंतु स्थापना दिवस पर शनिवार का दिन होने के कारण 11 नवंबर को सुनवाई उच्च न्यायालय में हुई।

इस दौरान कोर्ट में दोनों पक्षों ने अपने पक्ष रखे जिसमे बागेश्वर पुलिस का यह आरोप थे कि विधानसभा उपचुनाव के दौरान जब वे ड्यूटी पर थे तब बॉबी पंवार और उनके साथी नारेबाजी कर रहे थे और कुछ गलत तथ्यों वाले पर्चो का वितरण कर रहे थे , और जब पुलिस प्रशासन द्वारा उनसे नारेबाजी और पर्चे वितरण करने की इजाजत माँगी तो वे नही दे पाए और जब पुलिस द्वारा उन्हे ये बताया गया कि उनके द्वारा किए गए कृत्य अपराध है तो बॉबी पंवार ने उन्हे धमकी दी की वे बेरोजगार संघ के अध्यक्ष है और तुम मुझे रोक नही सकते जिसके बाद बॉबी ने अन्य लोगो को फोन कर भीड़ जमा करने का प्रयास किया , जिसके बाद पुलिस द्वारा बॉबी और उनके साथियों पर धारा 147,188, 186, 171(जी) आईपीसी के तहत आक्षेपित एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन जांच अधिकारी के द्वारा बाद में जांच पूरी होने पर दो अलग-अलग चार्जशीट प्रस्तुत किए गए।

जिसके बाद बॉबी पंवार के वकील ने ये कहते हुए स्पष्टिकरण दिया कि पुलिस द्वारा जो भी आरोप लगाए गए है वे निराधार है और बॉबी व उनके साथियों द्वारा ऐसा कोई भी कृत्य नही किया गया है जिससे कानून का उल्लंघन हुआ हो और अगर एफ आई आर और चार्जशीट में लिखे गए तथ्य सच भी माने जाते है तब भी बॉबी व उनके साथियो द्वारा ऐसा कोई काम नही किया गया जो अपराध हो क्योंकि जब उपचुनाव निर्धारित थे तो ऐसा कोई भी कानून धारा 144 के अंतर्गत नही आता कि पर्चे बाटने के लिए कोई अनुमति किसी से ली जाए, यहाँ तक की अगर पर्चो के अंदर लिखे गए तथ्य गलत भी है तब भी पुलिस अधिकारी के पास ऐसा कोई अधिकार नही है कि वे बिना तथ्यों के जाँच किए ऐसी कोई एफ आई आर दर्ज करे और बॉबी के वकील द्वारा यह भी कहा गया की जब बॉबी और उनके साथियो को जबरदस्ती गिरफ्तार किया गया तब वह बागनाथ मन्दिर में पूजा करने जा रहे थे।

विपक्ष के वकील ने मानी पुलिस की गलती

विपक्ष के वकील ने काफी हद तक यह भी माना है कि धारा 144 के अंदर ऐसा कोई प्रावधान नही है कि पर्चे बाँटना कानून का उल्लंघन हो

हाईकोर्ट का फैसला

पूरे प्रकरण को देखते हुए हाईकोर्ट ने यह कहा कि विपक्ष के वकील को अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट के समक्ष यह साबित करना होगा कि धारा 144 पहले से ही लागू थी और बॉबी व उनके साथियों द्वारा कैसे धारा 144 का उल्लंघन किया गया और कैसे प्रचार के लिए लोग शांतिपूर्वक कहीं जमा नही हो सकते, तबतक हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक इस केस पर स्टे लगाया है ।

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