बागेश्वर में अवैध खनन: हाईकोर्ट की रोक के बाद सरकार-प्रशासन पर सवाल, क्या सिर्फ बागेश्वर या इससे आगे भी फैला है,कारोबार?

रिपोर्ट कार्तिक उपाध्याय,हल्द्वानी

 

खनन के नाम पर खतरे में बागेश्वर:न्यायालय की रोक के बावजूद उठते सवाल

बागेश्वर,उत्तराखंड:पहाड़ों की सुंदरता और प्राकृतिक संसाधनों के लिए पहचाने जाने वाले उत्तराखंड का बागेश्वर जिला इन दिनों खनन गतिविधियों के कारण संकट में है,खड़िया खनन, जो 1972 से यहां जारी है,अब अपने विनाशकारी परिणामों की ओर बढ़ रहा है,बड़ी-बड़ी मशीनों से गहरी खुदाई के कारण न केवल पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ा है, बल्कि आसपास के कई गांव पूरी तरह खतरे में आ चुके हैं,कई गांव खाली हो चुके हैं।

 

 

न्यायालय ने लगाई खनन पर रोक

हाल ही में न्यायालय ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर 2 फरवरी तक अस्थायी रोक लगा दी है,यह फैसला अवैध खनन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान के मद्देनजर लिया गया।

हालांकि,खनन कारोबारियों और प्रशासन की मिलीभगत से लंबे समय से चल रहे इस कारोबार पर अब बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

रीमा वैली लगभग खत्म: खाली हो चुके गांव

रीमा वैली,जो कभी हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती थी,अब खनन के कारण वीरान हो चुकी है,यहां रहने वाले कई परिवार खनन के कारण विस्थापित हो गए हैं। गहरी खुदाई के कारण जल स्रोत सूख चुके हैं,और मृदा अपरदन (soil erosion) के चलते खेती भी लगभग असंभव हो गई है।

 

क्या बागेश्वर का पर्यावरण सुरक्षित है?

विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध खनन न केवल गांवों को खाली कर रहा है,बल्कि भविष्य में पूरे बागेश्वर को बड़े नुकसान की ओर ले जा सकता है। पहाड़ों के संतुलन में खलल पड़ने के कारण भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है,स्थानीय निवासी प्रशासन की उदासीनता और व्यापारियों के लालच को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

 

अवैध खनन का नेटवर्क

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अवैध खनन केवल बागेश्वर तक सीमित है? स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों का दावा है कि यह खनन एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है,जो बागेश्वर से खनिज निकालकर अन्य जगहों तक पहुंचाता है,यह चैन स्थानीय पहाड़ों को खोखला कर रही है,अगर जहां खनन हो रहा वहीं अवैध तो पूरी चैन क्या वैध तरीके से खनन के कारोबार में लगी होगी बड़ा सवाल हैं,क्योंकि बागेश्वर की खड़िया राज्य से बाहर जाती हैं और कई कार्यों में इसका प्रयोग होता हैं।

 

प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल

हालांकि सरकार और प्रशासन ने कई बार अवैध खनन रोकने के दावे किए हैं,लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। खनन माफियाओं के प्रभाव के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है, स्थानीय लोग न्यायालय के आदेश का स्वागत कर रहे हैं,लेकिन उन्हें यह भी डर है कि यह रोक अस्थायी न हो जाए।

 

स्थानीय लोगों की मांग

खनन पर स्थायी रोक: स्थानीय निवासी चाहते हैं कि खनन को पूरी तरह से बंद किया जाए।

 

पर्यावरण संरक्षण के उपाय: प्रशासन को जंगलों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के प्रयास करने चाहिए।

 

विकल्प के उपाय: खनन पर निर्भर लोगों को रोजगार के अन्य विकल्प उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

 

 

न्यायालय का आदेश और आगे का रास्ता

हालांकि न्यायालय के आदेश के बाद व्यापारियों में हलचल मच गई है,लेकिन यह आदेश एक लंबी लड़ाई का पहला कदम मात्र है,अगर प्रशासन और सरकार ठोस कदम नहीं उठाते, तो बागेश्वर और उसके आसपास के इलाकों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

 

बागेश्वर में हो रहे खनन की यह समस्या एक उदाहरण मात्र है। यह जरूरी है कि सरकार अवैध खनन की इस चेन को तोड़े और पर्यावरण के संरक्षण के लिए गंभीर कदम उठाए।

 

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