बागेश्वर: खड़िया खनन मामले में हाईकोर्ट का हस्तक्षेप,अधिवक्ता डीके जोशी ने भी उजागर की सरकारी तंत्र की लापरवाही

बागेश्वर में खनन से जुड़ा विवादित मामला, जो लंबे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है, अब नैनीताल हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद नया मोड़ ले चुका है। इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और बागेश्वर निवासी डीके जोशी ने सरकारी तंत्र की लापरवाही और खनन माफियाओं को मिले राजनीतिक संरक्षण को लेकर तीखे सवाल उठाए हैं।

अधिवक्ता डीके जोशी का फेसबुक पोस्ट:

अधिवक्ता डीके जोशी ने एक अखबार की खबर साझा करते हुए लिखा, “हमारे नेता जी की देन, पूर्व जिलाधिकारी रंजना राजगुरु, विनीत कुमार और अनुराधा पाल को यहाँ के विधायक गणों ने जिले में खनन से बर्बादी को अंजाम देने के लिए तैनाती दिलायी और अपने इसारे पर कार्य करवाये। हम तो कहते रह गए इनको जिले से स्थानांतरित करो परंतु प्रदेश के मुखिया का संरक्षण था और विधायकगणों की ठोस पैरवी। बहरहाल कोर्ट ने संज्ञान लिया और बहुत कुछ बर्बाद होने के बाद ही सही खनन पर रोक लगी।”

उन्होंने यह भी कहा, “लापरवाह अफ़सर तो नपेंगे ही, वर्तमान बीजेपी सरकार की सरकारी लूट तंत्र की भी पोल खुल रही।”

खनन से पर्यावरण का नुकसान:
बागेश्वर में खड़िया खनन ने पर्यावरण को गहरा नुकसान पहुंचाया। स्थानीय लोगों ने इसका लगातार विरोध किया, लेकिन प्रशासन और सरकार ने इसे अनसुना कर दिया।

राजनीतिक संरक्षण का आरोप

डीके जोशी का आरोप है कि खनन माफियाओं को प्रदेश सरकार और विधायकों का संरक्षण प्राप्त था।

हाईकोर्ट का हस्तक्षेप:
नैनीताल हाईकोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए खनन गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई।

वर्तमान स्थिति और आगे की चुनौतियां

कोर्ट के आदेश के बाद फिलहाल खनन गतिविधियां रोक दी गई हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह समाधान स्थायी होगा या खनन माफिया फिर सक्रिय होंगे? वहीं, खनन से जुड़े अधिकारियों और राजनेताओं पर अब कानूनी कार्रवाई की मांग तेज हो रही है।

सरकारी तंत्र पर सवाल

यह मामला वर्तमान बीजेपी सरकार की कार्यप्रणाली और खनन माफियाओं के साथ उनकी मिलीभगत को उजागर करता है। खनन से होने वाली बर्बादी को रोकने में प्रशासन की लापरवाही ने सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।

जनता की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोग हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से संतुष्ट हैं लेकिन दोषी अधिकारियों और नेताओं पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

यह मामला प्रशासन और सरकार के लिए चेतावनी है कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए जिम्मेदारी के साथ कार्य करें, अन्यथा जनता और न्यायपालिका दोनों सख्त कदम उठाएंगे।

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