बजट 2025-26: बेरोजगारी, महंगाई और कृषि संकट पर मौन, यशपाल आर्य ने बताया चुनावी घोषणा-पत्र

देहरादून: उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने केंद्रीय बजट 2025-26 को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह बजट जनता की समस्याओं का समाधान करने के बजाय महज चुनावी घोषणा-पत्र बनकर रह गया है। उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई, कृषि संकट और सामाजिक कल्याण योजनाओं में कटौती को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

 

बेरोजगारी और महंगाई पर कोई ठोस समाधान नहीं

यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार ने बेरोजगारी और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब देशभर में युवाओं को रोजगार की सख्त जरूरत है, तब सरकार केवल खोखले दावे कर रही है। उन्होंने कहा कि Startup India, Standup India और Skill India जैसी योजनाएँ केवल घोषणाएँ साबित हुई हैं।

 

कृषि क्षेत्र की अनदेखी और किसानों की समस्याएँ

नेता प्रतिपक्ष ने किसानों के मुद्दे पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और कृषि ऋण माफी को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई। इसके अलावा, खेती से जुड़े उपकरणों और आवश्यक वस्तुओं पर GST में कोई राहत नहीं दी गई।

 

सरकार ने कृषि बजट में ₹10,992 करोड़ और ग्रामीण विकास बजट में ₹75,133 करोड़ की कटौती कर दी, जिससे किसानों और ग्रामीण गरीबों पर बुरा असर पड़ेगा। यशपाल आर्य ने कहा कि इससे मनरेगा जैसी योजनाओं की फंडिंग प्रभावित होगी, जिससे ग्रामीण बेरोजगारी बढ़ सकती है।

 

स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र को भी झटका

यशपाल आर्य ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद देश को स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की जरूरत थी, लेकिन इसके बजट में ₹1,255 करोड़ की कटौती कर दी गई। इससे सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार प्रभावित हो सकता है।

 

शिक्षा क्षेत्र को लेकर भी उन्होंने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जब नई शिक्षा नीति (NEP) को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत थी, तब सरकार ने शिक्षा बजट में ₹11,584 करोड़ की कटौती कर दी। इससे उच्च शिक्षा में निवेश कम होगा और शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।

 

 

MSME और सामाजिक कल्याण योजनाओं की अनदेखी

यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार ने MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) क्षेत्र, स्वास्थ्य, शिक्षा और MGNREGA की लगातार अनदेखी की है। सामाजिक कल्याण योजनाओं पर भी असर पड़ा है, क्योंकि सरकार ने इन योजनाओं के बजट में ₹10,019 करोड़ की कटौती कर दी। इससे गरीब और कमजोर वर्गों को नुकसान होगा।

 

बुनियादी ढांचे और शहरी विकास पर असर

बजट में पूंजीगत व्यय (Capex) में ₹92,682 करोड़ की कटौती कर दी गई, जिससे नई परियोजनाओं में देरी होगी और निर्माण एवं विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसर घट सकते हैं।

 

इसके अलावा, शहरी विकास बजट में ₹18,907 करोड़ और पूर्वोत्तर विकास बजट में ₹1,894 करोड़ की कटौती कर दी गई, जिससे इन क्षेत्रों में अधूरी योजनाओं के पूरा होने में देरी होगी।

 

बजट को बताया पारदर्शिता से रहित

यशपाल आर्य ने कहा कि बजट पारदर्शिता और राजकोषीय अनुशासन के मानकों पर खरा नहीं उतरता। उन्होंने कहा कि सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य और राजस्व अनुमान अवास्तविक प्रतीत होते हैं।

 

निष्कर्ष: जनता को राहत नहीं, केवल चुनावी लॉलीपॉप

यशपाल आर्य ने कहा कि यह बजट आर्थिक सुधारों के बजाय केवल चुनावी घोषणाओं पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि जनता को वास्तविक राहत देने के बजाय, सरकार केवल आंकड़ों का खेल खेल रही है। उन्होंने सरकार से नीतिगत सुधारों और बेरोजगारी व महंगाई के समाधान पर ठोस कदम उठाने की मांग की।

 

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