पौड़ी।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा प्रत्याशी रचना बुटोला ने कांग्रेस को करारी शिकस्त देते हुए 33 मतों से जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी दीपिका ईष्टवाल को मात्र 5 मत मिले। जिला पंचायत उपाध्यक्ष पद निर्दलीय आरती नेगी ने 18 मतों से जीत हासिल की, भाजपा प्रत्याशी महेंद्र राणा को 14 मतों से संतोष करना पड़ा। जीत के तुरंत बाद भाजपा खेमे में जश्न का माहौल रहा, मगर उसी बीच सियासी तूफ़ान ने दस्तक दे दी।
दरअसल, जीत से पूर्व ही उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) ने भाजपा समर्थित रचना बुटोला का नामांकन रद्द करने की औपचारिक मांग कर दी थी। उक्रांद के केंद्रीय उपाध्यक्ष आशुतोष नेगी ने गंभीर आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी/रिटर्निंग ऑफिसर को प्रत्यावेदन सौंपा था। आरोपों में कहा गया कि पिछली पंचायती अवधि में उपाध्यक्ष रहते हुए रचना बुटोला ने अपने पति प्रवीन बुटोला के साथ मिलकर ‘बुटोला एंटरप्राइजेज’ के माध्यम से करोड़ों रुपये के ठेके हासिल किए, टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता को ताक पर रखा और हितों का टकराव छिपाकर सरकारी पद का दुरुपयोग किया। आरोपों के मुताबिक, जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि के बाद दो अभियंताओं को बर्खास्त भी किया जा चुका है।
अब हालात कुछ यूं हैं — भाजपा कह रही है “जनता का विश्वास ही लोकतंत्र की असली जीत है”, कांग्रेस हार के बाद चुप्पी साधे हुए है, और उक्रांद जीत के फूलों की माला में कांटे गिन रही है। पौड़ी में जनता को भी समझ नहीं आ रहा कि ये चुनाव लोकतंत्र की जीत है, या भ्रष्टाचार और राजनीति की पुरानी अदावत का सिर्फ़ नया एपिसोड….
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