मुनस्यारी, पिथौरागढ़ | पहाड़पन न्यूज
उत्तराखंड के सीमांत गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा एक बार फिर दो मासूम जिंदगियां निगल गई। प्रसिद्ध लोकगायक गणेश मर्तोलिया की छोटी बहन दिया और नानी कुंती देवी की मौत ने पूरे उत्तराखंड को स्तब्ध कर दिया है। बताया जा रहा है कि दोनों ने मुनस्यारी के पास धापा गांव के जंगलों में बरसात में उगने वाला जहरीला जंगली मशरूम अनजाने में खा लिया, जिससे उनकी हालत अचानक बिगड़ गई।
इलाज के लिए पहले उन्हें मुनस्यारी से पिथौरागढ़ और फिर पिथौरागढ़ से हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर किया गया। लेकिन इस पूरे “रेफर सिस्टम” में कई घंटे बर्बाद हो गए और समय पर उचित इलाज न मिलने के कारण हल्द्वानी में उपचार के दौरान दोनों की मौत हो गई।
रोते हुए गणेश मर्तोलिया ने बताया कि उनकी नानी की तबीयत खराब होने के कारण मई में उन्हें गांव भेजा गया था और यह दुखद हादसा वहीं हो गया। उनका कहना है कि अगर समय रहते इलाज मिल गया होता तो शायद दोनों की जान बचाई जा सकती थी।
गणेश मर्तोलिया हाल ही में अपने सुपरहिट गीत “पंचाचूली देस” के कारण सोशल मीडिया और यूट्यूब पर छाए हुए थे, लेकिन यह दर्दनाक हादसा उनके जीवन में ऐसा खालीपन छोड़ गया है जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
यह घटना न सिर्फ व्यक्तिगत क्षति है बल्कि राज्य की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। पिथौरागढ़ जैसे जिला मुख्यालय पर भी यदि जहरखुरानी जैसे मामलों का इलाज उपलब्ध नहीं है, तो सीमांत गांवों की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
अब ज़रूरत इस बात की है कि सरकार और प्रशासन इस हादसे से सबक ले और सीमांत क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए, ताकि आगे कोई और दिया और कुंती देवी इस सिस्टम की भेंट न चढ़ें।
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