देहरादून।
नालापानी क्षेत्र के ऐतिहासिक और जैव विविधता से भरपूर संरक्षित वन क्षेत्र खलंगा में अवैध निर्माण की आशंका ने वन्य जीवन प्रेमियों और पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ा दी है। जानकारी के अनुसार, लगभग 40 बीघा संरक्षित वन भूमि में बिना वन विभाग की अनुमति के तारबाड़ और गेट लगाकर अतिक्रमण किया जा रहा है।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा के कुछ लोगों द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। वे खुद को इस भूमि का मालिक बताकर तारबाड़ और सड़क निर्माण जैसे कार्यों को अंजाम दे रहे हैं, जबकि वन विभाग ने इस संबंध में कोई अनुमति नहीं दी है।
इस क्षेत्र में मौजूद चार हजार साल पुराने साल के पेड़ों पर संकट मंडरा रहा है। यह क्षेत्र खलंगा युद्ध स्थल के पास स्थित है, जो न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि जैविक दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है।
वन विभाग अंजान!
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इस निर्माण गतिविधि की कोई जानकारी नहीं है। डीएफओ अमित तंवर ने साफ कहा है कि यदि यह कार्य अवैध पाया गया तो संबंधित लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है खतरा?
चार हजार साल पुरानी पेड़-पौधों की जैवविविधता नष्ट होने की कगार पर।
संरक्षित वन क्षेत्र में बिना अनुमति गतिविधियां नियमों का उल्लंघन।
ऐतिहासिक धरोहर के पास हो रहे निर्माण से पर्यावरणीय असंतुलन की आशंका।
अपील:
स्थानीय जनता, पर्यावरण प्रेमियों और जनप्रतिनिधियों से निवेदन है कि वे इस मामले पर सजग रहें और यदि आपके पास कोई और जानकारी हो तो साझा करें।
“वृक्ष हैं तो भविष्य है, इन्हें बचाना हमारी जिम्मेदारी है!”
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