बीते दिनों काशीपुर के मेयर दीपक बाली की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात ने सियासी हलकों में हलचल बढ़ा दी है। मुलाकात के दौरान काशीपुर के लिए करोड़ों रुपये की विकास योजनाओं का खाका पेश किया गया — जिसमें 40 कूड़ा गाड़ियाँ, 5000 स्ट्रीट लाइट्स, नालों की सफ़ाई, गौशाला निर्माण, 8 चौराहों और 5 पार्कों का सौंदर्यीकरण, गिरिताल विकास और ₹46 करोड़ की लागत से प्रशासनिक भवन निर्माण जैसी कई परियोजनाएं शामिल रहीं।
लेकिन असली सवाल यह है — क्या ये योजनाएं केवल विकास का हिस्सा हैं या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक गणित छुपा है?
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आगामी 2027 विधानसभा चुनाव में काशीपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में हालिया योजनाएं और घोषणाएं सीधे तौर पर उनके संभावित चुनावी क्षेत्र को साधने की रणनीति के तौर पर देखी जा रही हैं।
राज्य के अन्य क्षेत्रों — खासकर पर्वतीय और सीमांत ज़िलों में — जहाँ मूलभूत सुविधाओं की कमी है, वहाँ के लोगों को यह क्षेत्रीय पक्षपात जैसा लग रहा है। क्या उत्तराखंड का विकास केवल काशीपुर केंद्रित होगा?
मुख्यमंत्री यदि वास्तव में संपूर्ण राज्य के नेतृत्वकर्ता हैं तो विकास की किरण हर ज़िले, हर गाँव तक पहुँचना चाहिए — न कि केवल उस क्षेत्र तक जहाँ भविष्य में राजनीतिक जमीन मजबूत करनी है।
काशीपुर के नाम पर की जा रही एकतरफा घोषणाएं निश्चित ही राजनीतिक सवालों के घेरे में हैं। जनता अब विकास के नाम पर राजनीतिक लाभ नहीं, बल्कि समान अवसर और निष्पक्षता की उम्मीद रखती है।
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