उत्तराखंड कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है,पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने 48 वर्षों तक पार्टी की सेवा करने के बाद इस्तीफा दे दिया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया,उनका यह कदम कांग्रेस के लिए न केवल बड़ा नुकसान है बल्कि आगामी चुनावों से पहले पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष को भी उजागर करता है।
मथुरा दत्त जोशी ने कांग्रेस में चार दशक से अधिक समय तक महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं,लेकिन हाल ही में नगर निकाय चुनावों में उनकी पत्नी का मेयर पद का टिकट कटने से वे नाराज थे।
उन्होंने पार्टी नेतृत्व को अपनी असहमति जताते हुए इस्तीफे की धमकी दी थी, जो अब वास्तविकता में बदल गई।
भाजपा मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मथुरा दत्त जोशी ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि जोशी जैसे अनुभवी नेता का पार्टी में आना भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
कांग्रेस में असंतोष की लहर
जोशी के इस्तीफे ने कांग्रेस के भीतर गहराते संकट को उजागर कर दिया है,पार्टी में टिकट वितरण को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। कई जिलों में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में नाराजगी देखने को मिल रही है। नगर निगम, नगर पालिका, और नगर पंचायतों के उम्मीदवारों के बीच भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं।
पार्टी प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश की, लेकिन टिकट आवंटन में हुए विवादों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। माहरा ने कहा, “हम सबको मिलकर काम करना होगा लेकिन कुछ लोगों की व्यक्तिगत नाराजगी ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है।”
48 वर्षों का समर्पण और अब नई शुरुआत
मथुरा दत्त जोशी ने अपने संबोधन में कहा, “मैंने अपने जीवन के 48 साल कांग्रेस पार्टी की सेवा में लगाए, लेकिन अब समय आ गया है कि मैं उस संगठन के साथ जुड़ूं, जो सही दिशा में काम कर रहा है,भाजपा में आकर मुझे लग रहा है कि मैं प्रदेश और समाज की भलाई के लिए बेहतर तरीके से काम कर पाऊंगा।”
कांग्रेस के लिए बढ़ती चुनौतियां
जोशी का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। यह कदम न केवल पार्टी की संगठनात्मक कमजोरी को दर्शाता है, बल्कि टिकट वितरण में पारदर्शिता की कमी पर भी सवाल उठाता है,आगामी निकाय चुनावों और विधानसभा चुनावों से पहले यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।
उत्तराखंड की राजनीति में यह घटनाक्रम नए समीकरण तैयार कर सकता है। जहां भाजपा इसे अपनी मजबूती के रूप में देख रही है, वहीं कांग्रेस के लिए यह आत्ममंथन का समय है। अब देखना होगा कि कांग्रेस अपनी स्थिति को संभालने और पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष को दूर करने में कितनी सफल हो पाती है।
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की खबरों के लिए आप सभी का अपना न्यूज़ पोर्टल pahadpan.com,खबरों के लिए संपर्क करें +917409347010,917088829995
Leave a Reply