हल्द्वानी : हल्द्वानी के हीरानगर स्थित पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच में उत्तरायणी मेला 2025 पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, 7 से 15 जनवरी तक चलने वाले इस मेले में कुमाऊं की पारंपरिक धरोहर, लोककला और सांस्कृतिक विविधता के दर्शन हो रहे हैं।
इतिहास और महत्व
उत्तरायणी मेला मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होने वाला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आयोजन है,कुमाऊं की धार्मिक और सामाजिक परंपराओं का यह मेला प्रतीक है। हीरानगर में यह मेला हमारी टीम की जानकारी के अनुसार 1982 से आयोजित हो रहा है और समय के साथ यह क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है।
मेले की झलकियां
सांस्कृतिक कार्यक्रम :
लोकगीत, नृत्य, और नाट्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।
स्थानीय और बाहरी कलाकारों की प्रस्तुतियों ने कुमाऊं की कला को नई ऊंचाई दी।
पारंपरिक हस्तशिल्प और व्यंजन :
मेले में स्थानीय हस्तशिल्प और पहाड़ी व्यंजनों के स्टॉल लगे हैं, जो दर्शकों के बीच खास आकर्षण बने हुए हैं।
वर्तमान आयोजन और व्यवस्थाएं
पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच द्वारा स्वच्छता के विशेष प्रबंध किए गए हैं।प्रतियोगिताओं, प्रदर्शनी, और पारंपरिक खेलों के आयोजन ने मेले को मनोरंजन और ज्ञानवर्धन का केंद्र बना दिया है।
आगामी कार्यक्रम
मेले के अगले चरण में नृत्य प्रतियोगिताएं, पारंपरिक खेल, और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। आयोजकों ने क्षेत्र के सभी नागरिकों से इसमें भाग लेने की अपील की है।
संदेश
यह मेला न केवल सांस्कृतिक उत्सव है बल्कि कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर और सामूहिकता का प्रतीक भी है। इसे सफल बनाने में सभी का योगदान आवश्यक है।
उत्तरायणी मेला 2025 कुमाऊं की गौरवशाली परंपराओं और आधुनिक समाज के बीच सेतु का कार्य कर रहा है। आइए, इस सांस्कृतिक महोत्सव का हिस्सा बनें और इसे सफल बनाएं।
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