उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा का जल निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन: जल जीवन मिशन में ₹450 करोड़ के घोटाले का आरोप

देहरादून, 9 जून — उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने सोमवार को जल जीवन मिशन के अंतर्गत चल रही पेयजल योजनाओं में कथित ₹450 करोड़ के घोटाले और राज्यभर में व्याप्त जल संकट के विरोध में जल निगम मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं खाली बर्तन लेकर पहुंचीं और जल संकट के प्रति सरकार की निष्क्रियता पर नाराज़गी जाहिर की।

 

मोर्चा के महासचिव और मूल निवास-भू-कानून संघर्ष समिति के संस्थापक मोहित डिमरी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने जल जीवन मिशन को “नल कमीशन मिशन” करार देते हुए अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये की लागत से बिछाई गई पाइपलाइनों और स्थापित नलों से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है, जिससे गांवों में जल संकट गहरा गया है।

डिमरी ने बताया कि गढ़वाल मंडल में जल जीवन मिशन के अंतर्गत ₹800 करोड़ की लागत की 44 पेयजल योजनाएं संचालित हो रही हैं। इनमें से ₹372 करोड़ के 17 प्रोजेक्ट हरियाणा की कंपनी यूनिप्रो टेक्नो इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित किए गए हैं। इस कंपनी के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की कमी, अनुबंध शर्तों का उल्लंघन, और धीमी प्रगति जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। बावजूद इसके, कंपनी को हल्द्वानी में ₹100 करोड़ की नई परियोजना भी सौंप दी गई है।

 

प्रदर्शन के दौरान मोर्चा ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एसडीएम स्मिता परमार के माध्यम से सौंपा और दोषी अधिकारियों को बर्खास्त करने, संबंधित कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने तथा निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं की गई तो राज्यभर में आंदोलन तेज किया जाएगा।

स्थानीय ठेकेदारों की अनदेखी का आरोप

मोर्चा के पश्चिमी देहरादून अध्यक्ष निरंजन चौहान ने सवाल उठाया कि क्या उत्तराखंड में योग्य स्थानीय या मूल निवासी ठेकेदारों की कमी है जो इन कार्यों को निष्पक्षता से कर सकें? उन्होंने आरोप लगाया कि नैनीताल में सीवरेज और पेयजल योजनाओं के ₹46 करोड़ के प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश की चार कंपनियों को दे दिए गए हैं, जिनमें लखनऊ, बरेली और कानपुर की कंपनियां शामिल हैं।

 

प्रदेशव्यापी अनियमितताएं उजागर

 

सामाजिक कार्यकर्ता विकास रयाल ने बताया कि नरेंद्रनगर क्षेत्र में कागजों में योजनाएं पूरी दिख रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर जलापूर्ति नदारद है।

पूर्वी देहरादून जिलाध्यक्ष शीशपाल पोखरियाल ने कहा कि जल जीवन मिशन पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होना संदेह पैदा करता है।

 

उत्तरकाशी से आए विनोद सिंह ने बताया कि संगराली-पाटा और बौंगाडी योजनाओं में सात करोड़ से अधिक खर्च हुए, जिनमें दोहराव और गड़बड़ी सामने आने पर अभियंताओं को वसूली के नोटिस जारी किए गए।

चमोली, टिहरी, पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा जनपदों में भी जल जीवन मिशन के तहत घोटालों की एक लंबी श्रृंखला सामने आई है।

 

प्रमुख उपस्थिति

इस प्रदर्शन में मोर्चा संरक्षक पूर्व IAS एस.एस. पांगती, पीसी थपलियाल, मनोज कोठियाल, प्रमोद काला, पंकज उनियाल, आशुतोष कोठारी, सुधीर राय रावत, गौतम राणा, हिमांशु नेगी, उषा डोभाल सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता, ग्रामीण महिलाएं और स्थानीय निवासी शामिल हुए।

 

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि जल्द ही पारदर्शी जांच और ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो जल संकट से जूझ रही जनता को न्याय दिलाने के लिए यह आंदोलन और व्यापक रूप लेगा।

 

पहाड़पन की खबरें आपको कैसी लगती हैं? हमें व्हाट्सएप पर अवश्य साझा कीजिए!

📞 +917409347010

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!