देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि प्रदेश के सभी जिलों में वृद्धाश्रम खोले जाएंगे। लेकिन इस फैसले पर जनता का बड़ा वर्ग नाराजगी जता रहा है। लोगों का कहना है कि उत्तराखंड की संस्कृति में कभी ऐसा नहीं रहा कि मां-बाप को वृद्धाश्रम भेजा जाए। यहाँ हमेशा संयुक्त परिवार और माता-पिता की सेवा की परंपरा रही है।
लोगों का कहना है कि सरकार युवाओं को रोज़गार नहीं दे पा रही, जिस कारण उत्तराखंड का युवा विवश होकर अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर है। और अब उनके पीछे रह गए बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजने की तैयारी करना राज्य की संस्कृति और सामाजिक ढांचे पर बड़ा हमला है।
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में वृद्धाश्रम खोलने से पहले सरकार को यह सोचना चाहिए कि पलायन को कैसे रोका जाए और युवाओं को अपने गांव-घर में ही रोजगार के अवसर कैसे उपलब्ध कराए जाएं। अगर रोजगार यहां होगा तो बुजुर्ग भी अपने बच्चों के साथ सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन बिता सकेंगे।
जनता का स्पष्ट कहना है कि वृद्धाश्रम खोलने की बजाय सरकार को पलायन रोकने और युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर जोर देना चाहिए। तभी बुजुर्गों को भी अपने परिवार के साथ वह सम्मान और प्यार मिलेगा, जिसके लिए उत्तराखंड की संस्कृति जानी जाती है।
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