उत्तराखंड में भाजपा का ‘स्नेह प्रेम मिलन कार्यक्रम’: 22 से 30 मार्च तक बिहार दिवस आयोजन

उत्तराखंड में भाजपा 22 मार्च से 30 मार्च तक ‘स्नेह प्रेम मिलन कार्यक्रम’ के तहत बिहार दिवस मनाने जा रही है। इस 9 दिवसीय आयोजन का उद्देश्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़े लोगों को साधना माना जा रहा है। कार्यक्रम में बिहार की संस्कृति, समाज और योगदान को उजागर करने के साथ-साथ राजनीतिक समीकरण भी साधने की कोशिश होगी।

वोट बैंक की राजनीति या सामाजिक सौहार्द?

भाजपा ने इसे सामाजिक समरसता का आयोजन बताया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा कदम हो सकता है। उत्तराखंड में बिहार और पूर्वी यूपी से आए प्रवासी मतदाता खासकर देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर जैसे जिलों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे में भाजपा का यह कार्यक्रम इस समुदाय को लुभाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

मूल वोटरों की अनदेखी पर सवाल

इस आयोजन के बाद मूल उत्तराखंडी मतदाताओं की स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर #मूल_वोटर_कितना_अब जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग यह बहस कर रहे हैं कि राज्य की राजनीति में अब स्थानीय मुद्दों की जगह बाहरी वोटरों को प्राथमिकता दी जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषण

विशेषज्ञों के अनुसार, यह आयोजन भाजपा की रणनीतिक चाल का हिस्सा है। राज्य में लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सभी दल अपने संभावित वोट बैंक को साधने में जुटे हैं।

आपकी राय?

क्या यह आयोजन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रवासियों के सम्मान में है, या फिर यह वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है? #मूल_वोटर_कितना_अब पर अपनी राय दें।

 

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