देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में नया मोड़ आया है। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य समेत तीनों दोषियों ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ अब उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
गौरतलब है कि कोटद्वार की विशेष सत्र न्यायालय ने 30 मई 2025 को इस जघन्य हत्याकांड में तीनों आरोपियों—पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भगत—को दोषी ठहराते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 354A (यौन उत्पीड़न) और 201 (सबूत मिटाना) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य की ओर से सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार, 7 जुलाई को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। यह सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष हुई।
कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान निचली अदालत का पूरा रिकॉर्ड तलब किया है और मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है।
पृष्ठभूमि:
अंकिता भंडारी की हत्या सितंबर 2022 में हुई थी। वह ऋषिकेश स्थित एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर कार्यरत थीं। जांच में सामने आया था कि अंकिता पर अवैध गतिविधियों के लिए दबाव डाला जा रहा था, जिसका विरोध करने पर उसकी निर्ममता से हत्या कर दी गई और शव को चिल्ला नहर में फेंक दिया गया। इस मामले ने राज्यभर में आक्रोश पैदा कर दिया था और व्यापक जन आंदोलन देखने को मिला था।
अब जबकि दोषियों ने हाईकोर्ट का रुख किया है, पीड़ित परिवार और जनमानस की निगाहें न्याय प्रक्रिया की अगली कड़ी पर टिकी हैं।
वहीं दूसरी तरफ जनता की माँग फाँसी पर टिकी हुई है, लोगों और अंकिता के परिजनों का कहना है कि मौत की सजा मौत होनी चाहिए!
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