देहरादून |
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद अब इसका विरोध तेज़ होता जा रहा है,पर्वतीय मूल निवासी इसके कुछ प्रावधानों से नाराज़ हैं और स्थायी निवास और लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कड़ा विरोध जता रहे हैं।
इसी कड़ी में राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने मंगलवार को दीनदयाल उपाध्याय पार्क में एक दिवसीय उपवास कर सरकार को चेतावनी दी,उपवास के बाद पार्टी नेताओं ने प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा और 1 सप्ताह के भीतर संशोधन की मांग की।
पार्टी का कहना है कि यदि सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया,तो प्रदेश में व्यापक जन आंदोलन छेड़ा जाएगा,उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) और अन्य सामाजिक संगठनों के इस आंदोलन में शामिल होने की संभावना भी जताई जा रही है।
क्या है विरोध के मुख्य कारण?
स्थायी निवासी की परिभाषा बदलने का विरोध
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के संयोजक शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा,
“UCC के नए प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति जो 1 साल से उत्तराखंड में रह रहा है, उसे स्थायी निवासी माना जा सकता है,इससे बाहरी लोगों को आसानी से मूल निवासी का दर्जा मिल जाएगा, जो कि उत्तराखंड के लोगों के लिए घातक होगा, इससे न केवल भूमि अधिकार कमजोर होंगे बल्कि राज्य की डेमोग्राफी भी बदल जाएगी।”
उन्होंने आगे कहा,
“पहले ही उत्तराखंड में भू-कानून कमजोर किए जा चुके हैं। अब इस कानून से बाहरी लोगों को आसानी से यहां बसने का मौका मिलेगा, जिससे स्थानीय युवाओं के रोजगार और संसाधनों पर असर पड़ेगा। अगर सरकार इसे वापस नहीं लेती तो हम उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”
लिव-इन रिलेशनशिप के प्रावधानों का विरोध
UCC के तहत लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दिए जाने के प्रावधान पर भी पर्वतीय समाज की महिलाओं ने कड़ा ऐतराज जताया है।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा,
“लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता देना उत्तराखंड की संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने पर हमला है। पहाड़ी समाज में महिलाओं की सुरक्षा हमेशा एक मुद्दा रही है। यह कानून गैर-जिम्मेदार संबंधों को बढ़ावा देगा, जिससे महिलाओं और बच्चों को सामाजिक असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा।”
महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने पर खतरा
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष शैलबाला ममंगाई ने लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ बोलते हुए कहा,
“पहाड़ी समाज में परिवार और संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं। लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता देना विवाह संस्था को कमजोर करेगा और महिलाओं के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए, अन्यथा महिलाएं सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगी।”
क्या होगा आगे?
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने सरकार को 1 हफ्ते का समय दिया है। इस दौरान सरकार ने अगर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो पार्टी उत्तराखंड भर में जन आंदोलन शुरू करेगी।
संभावित आंदोलन और समर्थन
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) और अन्य सामाजिक संगठनों से समर्थन मांगने की योजना बनाई है।
पर्वतीय समाज से जुड़े संगठन और स्थानीय लोग भी इस विरोध में शामिल हो सकते हैं।
यदि सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया,तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज़ हो सकता है।
निष्कर्ष
UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में इसके स्थायी निवासी की परिभाषा और लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता जैसे प्रावधानों को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। पर्वतीय मूल निवासी इसे अपनी पहचान, संस्कृति और भूमि अधिकारों के लिए खतरा मान रहे हैं,अब देखना यह होगा कि सरकार अगले 1 सप्ताह में क्या कदम उठाती है या फिर उत्तराखंड में एक बड़े जन आंदोलन की शुरुआत होती है।
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