अल्मोड़ा, 03 फरवरी 2025 – उत्तराखंड स्टूडेंट्स फेडरेशन (USF) और अन्य जागरूक नागरिकों ने राज्य में लागू किए जा रहे यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर कड़ा विरोध जताया है। संगठन के संयोजक देवेश सेन के नेतृत्व में छात्रों और स्थानीय नागरिकों ने जिलाधिकारी, अल्मोड़ा के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा और इस कानून पर पुनर्विचार की मांग की।
ज्ञापन में कहा गया कि UCC का क्रियान्वयन उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत, जनजातीय समुदायों की परंपराओं और स्थानीय निवास नीति पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
मुख्य आपत्तियां
संस्कृति और परंपराओं पर खतरा – उत्तराखंड की पारंपरिक विवाह प्रथाएं, संपत्ति हस्तांतरण की रीति और पारिवारिक कानून इस संहिता के कारण प्रभावित होंगे।
महिलाओं के अधिकार – पहाड़ी समाज में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी देने की परंपरा रही है, लेकिन UCC के लागू होने से इस पर असर पड़ सकता है।
जनजातीय विशेषाधिकार – भोटिया, जौनसारी, रं और अन्य जनजातीय समुदायों की पारंपरिक व्यवस्थाओं और स्वायत्तता की रक्षा आवश्यक है।
स्थायी निवास प्रावधान – UCC के पृष्ठ संख्या 24 के अनुसार बाहरी व्यक्ति को केवल एक वर्ष में स्थायी निवासी का दर्जा देने की व्यवस्था स्थानीय लोगों के अधिकारों और संसाधनों को नुकसान पहुंचा सकती है।
लिव-इन रिलेशनशिप की मान्यता – उत्तराखंड की सामाजिक संरचना और नैतिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है।
प्रमुख मांगें
• UCC को उत्तराखंड में लागू न किया जाए या इसके लिए विशेष प्रावधान रखे जाएं।
• जनजातीय समुदायों और पारंपरिक कानूनों की रक्षा की जाए।
• UCC लागू करने से पहले विस्तृत जनसंवाद और परामर्श किया जाए।
• राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता न दी जाए।
• बाहरी व्यक्ति को स्थायी निवासी बनाने की एक वर्ष की शर्त को हटाया जाए।
स्थानीय संस्कृति की रक्षा की मांग
USF ने स्पष्ट किया कि यह विरोध किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि उत्तराखंड की विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए है। संगठन ने सरकार से अपील की कि इस मुद्दे पर स्थानीय नागरिकों और विशेषज्ञों की राय लेने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए।
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