देहरादून,
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की NARI-2025 रिपोर्ट ने भाजपा सरकार की पोल खोल दी है। रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून देश के सबसे असुरक्षित शहरों में शामिल हो चुका है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं बल्कि प्रदेश की बेटियों की टूटी उम्मीदें, उनका डर और उनकी चीख है। जब राजधानी ही महिलाओं के लिए असुरक्षित है तो बाकी पहाड़ और मैदान की बेटियों की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
भाजपा सरकार का “बेटी बचाओ” अभियान अब जनता के लिए मजाक बन चुका है। यह नारा अब सिर्फ चुनावी जुमला साबित हुआ है। हकीकत यह है कि अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है और बेटियां दर-दर भटक रही हैं। सत्ता सुरक्षित है, लेकिन बेटियों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है।
सल्ट, लालकुआं, चंपावत और संतरेसा में भाजपा पदाधिकारियों पर बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं और कई आरोपी आज भी जमानत पर बाहर घूम रहे हैं। हरिद्वार में भाजपा की ही महिला पदाधिकारी पर अपनी बेटी का शोषण कराने का आरोप लगा। अंकिता भंडारी हत्याकांड में भाजपा के मंत्री का बेटा शामिल रहा, लेकिन “वीआईपी” का नाम आज तक उजागर नहीं हुआ।
प्रदेश की जनता अब सवाल पूछ रही है कि आखिर भाजपा सरकार किस मुंह से महिला सुरक्षा की बात करती है। जब सत्ता के संरक्षक ही अपराधी बन जाएँ तो इंसाफ कौन देगा? बेटियों की इज्जत बचाने में विफल भाजपा सरकार सत्ता की कुर्सी बचाने का हकदार कैसे हो सकती है?
NARI-2025 रिपोर्ट दरअसल भाजपा सरकार की नाकामी की चार्जशीट है। यह साफ हो चुका है कि भाजपा के राज में बेटी होना ही सबसे बड़ा अपराध बन गया है। जनता की जुबान पर अब यही सवाल है कि आखिर कब तक अपराधियों को बचाकर भाजपा सत्ता की राजनीति करती रहेगी।
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