पर्वतीय समाज की दावेदारी से काशीपुर नगर निगम चुनाव के समीकरण उलझे,कौन बनेगा चुनावी बाजीगर

काशीपुर : नगर निगम चुनाव में पर्वतीय समाज की भूमिका एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ खड़ी हुई है। चुनाव की अधिसूचना से पहले ही पहाड़पन फाउंडेशन की संस्थापक कुसुम लता बौड़ाई ने अपनी दावेदारी पेश कर दी थी, जिससे यह साफ हो गया था कि पर्वतीय समाज का समर्थन इस खास प्रत्याशी को मिल सकता है,इसने चुनावी मैदान में हलचल मचा दी थी और सभी दलों के नेताओं की नींद उड़ा दी थी। हालांकि, उनकी उम्र कम होने के कारण वह खुद चुनावी मैदान से बाहर हो चुकी हैं,और अब भविष्य में चुनावी बाधाओं से बचने के लिए न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी कर चुकी हैं।

 

पहाड़पन फाउंडेशन की संस्थापक ने भले ही अपनी दावेदारी वापस ली हो,लेकिन पर्वतीय समाज की ताकत और उसके वोटों की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता,इस चुनाव में पर्वतीय समाज के वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण इन दिनों शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

हालांकि, पर्वतीय समाज से इस बार दो उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है – पूजा रावत और लक्ष्मण सिंह मनराल। पूजा रावत, जो शांतिनगर कॉलोनी की निवासी हैं, ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मेयर पद के लिए नामांकन पत्र भरा है। उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने का उनका कोई इरादा नहीं था, लेकिन शहर की तमाम ज्वलंत समस्याओं ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया,पूजा ने काशीपुर के राजकीय महाविद्यालय से स्नातक किया है और पूर्व में सल्ट,अल्मोड़ा से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ चुकी हैं।

 

वहीं,लक्ष्मण सिंह मनराल ने भी मेयर पद के लिए निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। उनके बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उन्होंने दावेदारी चुनावी समर में करी हैं।

 

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पर्वतीय समाज किसे अपना समर्थन देगा – क्या वह भाजपा के दीपक बाली को चुनेगा, जो पहले से ही राजनीतिक रेस में हैं,या फिर वह संदीप सहगल के पक्ष में जाएगा,जो समाज के बीच अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं,इसके अलावा यह भी चर्चा हो रही है कि क्या इस बार पर्वतीय समाज एकजुट होकर पूजा रावत या लक्ष्मण सिंह मनराल में से किसी एक को चुनावी मैदान में उतारेगा?

 

पहाड़पन फाउंडेशन ने इस मुद्दे पर अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, जिससे चुनावी माहौल और भी सस्पेंस में घिर गया है,कुसुम लता बौड़ाई के पक्ष में उठे सवालों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी मैदान में पर्वतीय समाज की भूमिका किस दिशा में जाती है।

 

यह सवाल अब सभी राजनीतिक दलों के लिए सिरदर्द बन गया है, क्योंकि काशीपुर नगर निगम चुनाव में पर्वतीय समाज का वोट किसे मिलेगा, यह तय करेगा कि चुनावी फतेह किसके हाथ में आएगी।

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