धराली आपदा की कवरेज करते समय पत्रकार भाई रतूड़ी जी की नज़र कुछ ऐसे पीड़ित परिवारों पर पड़ी जिनका सबकुछ आपदा की लहरें बहा ले गई थीं। हालात इतने भयावह थे कि मासूम बच्चों और उनके माता-पिता के पास तन ढकने तक को कपड़ा नहीं बचा था।
ये दृश्य देखकर रतूड़ी जी का दिल पसीज गया। उन्होंने तुरंत उत्तराखण्ड क्रांति दल महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष मेजर संतोष भंडारी को फोन मिलाया। उस समय भंडारी जी आपदा राहत सामग्री लेकर प्रभावित क्षेत्रों की ओर जा रही थीं। लेकिन जब उन्होंने सुना कि सामने खड़े परिवारों के पास कपड़े तक नहीं हैं, तो उन्होंने उसी पल कहा—
“रतूड़ी जी, आप अभी कपड़े दिलाइए, मैं यहीं से पेमेंट कर रही हूं।”
भंडारी जी के इस संकल्प के बाद रतूड़ी जी ने तत्काल उन जरूरतमंदों के लिए ₹9,090 के कपड़े दिलवाए और पीड़ित परिवारों को राहत पहुंचाई।
यह सिर्फ एक मदद नहीं थी, बल्कि एक संदेश था कि उत्तराखण्ड क्रांति दल राजनीति से ऊपर उठकर समाज और मानवता की सेवा में खड़ा है।
धराली आपदा में इंसानियत की ये मिसाल आने वाली पीढ़ियों को हमेशा याद दिलाएगी कि जब संकट आया तो पत्रकार और जननेता मिलकर मानवता के प्रहरी बन खड़े हुए।
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