देहरादून नगर निगम सभागार में आयोजित समारोह में हल्दूचौड़ निवासी समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता पीयूष जोशी को उत्तराखंड शिरोमणि सम्मान–2025 से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें कोविड काल में राहत कार्यों, सूचना के अधिकार के माध्यम से पारदर्शिता स्थापित करने और युवाओं से जुड़े मुद्दों पर प्रभावी हस्तक्षेप के लिए दिया गया।
कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने माधवी फाउंडेशन के माध्यम से हजारों जरूरतमंद परिवारों को राशन, दवाइयां और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई। प्रवासी मजदूरों के लिए राहत शिविर संचालित किए गए।
सूचना का अधिकार कानून के तहत उन्होंने दर्जनों आरटीआई दाखिल कर शिक्षा, स्वास्थ्य और खनन से जुड़े मामलों में भ्रष्टाचार उजागर किया। उनके प्रयासों से कई मामलों में जांच बैठी और दोषियों पर कार्रवाई हुई। उन्होंने आरटीआई प्रणाली को पूरी तरह ऑनलाइन करवाने में भी अहम भूमिका निभाई।
स्थानीय स्तर पर बेसहारा पशुओं की समस्या, युवाओं की बेरोज़गारी और भर्ती घोटालों जैसे मुद्दों पर उनके आंदोलनों ने प्रशासन और सरकार को ठोस कदम उठाने पर मजबूर किया। अन्ना हजारे से भी उन्होंने बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर चर्चा की।
वे उत्तराखंड युवा एकता मंच, माधवी फाउंडेशन और RTI एक्टिविस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष हैं। सामाजिक सेवा के लिए उन्हें स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुरस्कार–2024 भी मिल चुका है।
सम्मान प्राप्ति पर उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार उन सभी के संघर्ष का प्रतीक है, जिन्होंने मेरे साथ न्याय और पारदर्शिता की राह पर साथ दिया।”
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