देहरादून।
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर सियासत गरमा गई है। सोमवार को कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य निर्वाचन आयोग पहुंचा और आयोग को एक ज्ञापन सौंपते हुए पंचायतों में लागू की गई आरक्षण व्यवस्था पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराईं।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने अपने राजनैतिक हितों के अनुरूप आरक्षण तय किया है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए अब तक कोई आरक्षण तय नहीं किया गया है, वहीं जिला पंचायत सदस्यों के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके अलावा, कांग्रेस ने आरक्षण प्रणाली में कई विसंगतियों की ओर भी इशारा किया — जैसे कि कहीं जनसंख्या के आधार पर तो कहीं प्रतिशत के आधार पर आरक्षण तय किया गया है, और रोस्टर प्रणाली को ‘जीरो’ करने का निर्णय भी सवालों के घेरे में है।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि इस तरह की अनियमितताएं लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती हैं। उनका दावा है कि यह आरक्षण प्रणाली संविधान के अनुरूप नहीं है और इससे पंचायत चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि आज ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है। ऐसे में कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवालों और ज्ञापन में दर्ज आपत्तियों पर अब राज्य निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया और कार्रवाई आगामी चुनावी दिशा तय करेगी।
राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा अब और गरमाने की संभावना है, और देखना होगा कि निर्वाचन आयोग कांग्रेस की आपत्तियों पर क्या रुख अपनाता है।
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