देहरादून, उत्तराखंड।
राज्य में कार्यरत स्थानीय ठेकेदारों की नाराजगी अब उबाल पर है। देहरादून में कई ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह करने की चेतावनी दी है। उनका आरोप है कि उन्हें अंशुमान कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा पेटी ठेके (सब-कॉन्ट्रैक्ट) के माध्यम से काम तो दिया गया, लेकिन कार्य पूर्ण होने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया।
आर्थिक तंगी की कगार पर पहुंचे ठेकेदार
ठेकेदारों का कहना है कि वे महीनों से अपने बकाया भुगतानों का इंतजार कर रहे हैं। इस देरी के कारण वे न केवल भारी कर्ज में डूब चुके हैं, बल्कि अपने कर्मचारियों, मजदूरों और निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्ताओं को भी भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। कई ठेकेदारों ने इसे “अस्तित्व का संकट” बताया और कहा कि भुगतान न होने की स्थिति में वे आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने को मजबूर हो सकते हैं।
सिस्टम पर गंभीर सवाल
ठेकेदारों ने राज्य सरकार और प्रशासन से सवाल किया है कि— “यदि कोई ठेकेदार आत्महत्या करता है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?”
उनका कहना है कि निर्माण कार्यों का निष्पादन उन्होंने पूरी निष्ठा से किया, लेकिन भुगतान रोककर उन्हें आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना झेलने को मजबूर किया जा रहा है।
स्थानीय ठेकेदारों के साथ भेदभाव का आरोप
एक अन्य चिंता का विषय यह भी है कि राज्य की प्रमुख निर्माण परियोजनाएं बाहरी कंपनियों को दी जा रही हैं, जबकि स्थानीय ठेकेदारों को केवल पेटी ठेके पर सीमित कर दिया गया है। इससे न केवल स्थानीय व्यापार प्रभावित हो रहा है, बल्कि राज्य में रोजगार सृजन के अवसर भी सीमित हो रहे हैं।
मांगें एवं चेतावनी
स्थानीय ठेकेदारों ने सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं:
अंशुमान कंस्ट्रक्शन जैसी कंपनियों के खिलाफ नियामक कार्रवाई,
लंबित भुगतानों का शीघ्र निपटारा,
भविष्य में स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता,
निर्माण क्षेत्र में पारदर्शी भुगतान प्रणाली की व्यवस्था।
यदि समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो ठेकेदारों ने चेतावनी दी है कि वे सामूहिक आंदोलन और आत्मदाह जैसे कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
यह मामला केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राज्य की नीति और स्थानीय अधिकारों के सम्मान से जुड़ा है। सरकार को अविलंब हस्तक्षेप कर इस गंभीर संकट का समाधान करना चाहिए।
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