26 वर्षीय अनिल नेगी की दर्दनाक मौत, सवालों के घेरे में विभागीय कार्यप्रणाली
पौड़ी ज़िले के नैनीडांडा ब्लॉक के खुटीड़ा क्षेत्र से एक दर्दनाक खबर सामने आई है, जहाँ बिजली लाइन ठीक करते वक्त 26 वर्षीय अनिल नेगी की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अनिल बिजली के पोल पर चढ़कर लाइन सुधारने का कार्य कर रहे थे, तभी करंट लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
अनिल की उम्र महज़ 26 साल थी, लेकिन परिवार की ज़िम्मेदारियों और दो वक्त की रोटी के लिए वह खतरनाक काम कर रहे थे—बिना पर्याप्त सुरक्षा के। सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसे कामों के लिए सरकार के क्या नियम हैं? क्या उन्हें जरूरी सुरक्षा उपकरण, ट्रेनिंग और बीमा जैसी सुविधाएं दी जाती हैं? जवाब दुखद है—नहीं।
विभागीय लापरवाही का आलम ये है कि ज़्यादातर कर्मचारी कार्यालय नहीं जाते, खासकर वे जिनकी राजनैतिक पकड़ मजबूत होती है। सारा बोझ उन कर्मचारियों पर आता है जो हर दिन जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। ऐसे में जब कोई अनहोनी होती है, तब न विभाग सामने आता है, न सरकार।
हर साल इस तरह की घटनाएं होती हैं, लेकिन इन्हें कभी गंभीरता से नहीं लिया जाता। स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर सरकार और बिजली विभाग जनता से पैसे वसूलते हैं, लेकिन कर्मचारियों के लिए न स्मार्ट उपकरण हैं, न सुरक्षा नीति।
अब समय आ गया है जब सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा। अनिल नेगी जैसे युवाओं की मौत केवल एक हादसा नहीं, ये सिस्टम की असफलता का आईना है।
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