पौड़ी गढ़वाल | विशेष रिपोर्ट
1 जुलाई 2018 की सुबह पौड़ी गढ़वाल जिले के धुमाकोट-भौन-अपोला मोटर मार्ग पर जो हादसा हुआ था, वह आज भी उत्तराखंड की स्मृतियों में एक गहरी पीड़ा के रूप में अंकित है। इस हृदयविदारक बस दुर्घटना में कुल 48 यात्रियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई थी। आज, इस दुर्घटना की सातवीं बरसी पर जनपद समेत पूरे राज्य में शोक और श्रद्धांजलि का माहौल है।
क्या हुआ था उस दिन?
घटना की सुबह, एक ओवरलोडेड प्राइवेट बस धुमाकोट क्षेत्र से भौन की ओर जा रही थी। संकरी और घुमावदार सड़क पर नियंत्रण खोने के बाद बस गहरी खाई में जा गिरी। मौके पर चीख-पुकार मच गई। बचाव दलों और स्थानीय लोगों ने घंटों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। इस दुर्घटना ने राज्य के परिवहन और सड़क सुरक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे।
परिवारों का अब भी नहीं भर सका खालीपन
इस घटना में जान गंवाने वालों में कई स्कूली छात्र, बुजुर्ग और रोजमर्रा के काम से यात्रा करने वाले लोग शामिल थे। आज भी उन परिवारों की आंखें नम हो जाती हैं जो अपनों को खो चुके हैं। इस हादसे के पीड़ित परिवारों ने बार-बार सुरक्षित परिवहन और मजबूत सड़क संरचना की मांग उठाई है।
सरकारी आश्वासन और आज की स्थिति
हादसे के बाद तत्कालीन सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने और सड़क सुधारने की बात कही थी। हालांकि सात वर्षों बाद भी धुमाकोट मार्ग की हालत और ट्रांसपोर्ट सुरक्षा को लेकर सवाल जस के तस बने हुए हैं।
जनता से अपील
श्रद्धांजलि कार्यक्रमों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने दोहराया कि ऐसी घटनाओं से सबक लेना जरूरी है। लोगों से अपील की गई है कि वे ओवरलोड वाहनों में यात्रा न करें और प्रशासन भी ऐसे वाहनों के संचालन पर सख्त कार्यवाही सुनिश्चित करे।
ॐ शांति!
आज हम उन सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने इस भीषण हादसे में अपनी जान गंवाई। ईश्वर उनके परिजनों को संबल दे और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, यही प्रार्थना है !!
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