“स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल पूछना क्या अपराध है?” — कार्यकर्ता को जेल भेजे जाने के आदेश पर उठे सवाल

श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल:

उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर सवाल उठाने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन नेगी को श्रीनगर SDM कोर्ट से जेल भेजने के आदेश मिले हैं। आरोप है कि उन्होंने अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ और अव्यवस्था फैलाई, लेकिन वायरल हो रहे वीडियो में ऐसे किसी कृत्य के प्रमाण नहीं दिख रहे।

 

जनवरी 2025 में देलचौरी-पौड़ी रोड पर हुई एक बस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल लोगों को पहले पौड़ी जिला अस्पताल लाया गया, जहां कथित रूप से डॉक्टर मौजूद नहीं थे और टॉर्च की रोशनी में इलाज किया गया। इसके बाद घायलों को श्रीनगर बेस अस्पताल और फिर देहरादून रेफर किया गया। इसी हादसे में कार्यकर्ता के पारिवारिक सदस्य और एक युवती की मृत्यु हो गई थी, जो उत्तराखंड पुलिस में भर्ती होने जा रही थी।

 

“मैंने केवल सवाल पूछे — क्या इसीलिए मुझे जेल भेजा जा रहा है?”

नेगी का कहना है कि उन्होंने किसी प्रकार की तोड़फोड़ नहीं की और यदि सरकार उनके सवालों को दबाने के लिए जेल भेज रही है, तो वह इसके लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनके जेल जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार होता है, तो यह क़दम उन्हें स्वीकार है।

 

उनके साथ उत्तराखंड क्रांति दल से श्रीनगर मेयर पद की प्रत्याशी सरस्वती नेगी भी थीं, जिन्होंने इस कार्रवाई को अनुचित बताया और निष्पक्ष जांच की मांग की।

 

प्रशासन का पक्ष:

पुलिस का कहना है कि उपलब्ध वीडियो और चश्मदीद गवाहों के आधार पर ही FIR दर्ज की गई है। कोर्ट में आगे की सुनवाई के बाद स्थिति स्पष्ट होगी।

 

क्या यह सवाल पूछने की सज़ा है या कानून का पालन?

यह मामला अब जनता के बीच बहस का विषय बन गया है। एक ओर सरकार पर सवाल उठाने वालों को दंडित किए जाने का आरोप है, वहीं प्रशासन का कहना है कि कानून सबके लिए समान है।

 

निष्कर्ष:

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला देती है और क्या उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर उठ रहे सवालों पर सरकार कोई ठोस कदम उठाती है।

 

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