देहरादून |
देहरादून में धार्मिक स्थलों को स्वच्छ, पर्यावरण के अनुकूल और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से आज ‘स्वच्छ श्रद्धा, स्वच्छ भारत’ विषय पर एक राउंडटेबल बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता नितिन शाह ने की, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों, युवा प्रतिनिधियों, नगर निकायों, मंदिर समितियों और वन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक का उद्देश्य था— देहरादून के प्रमुख धार्मिक और तीर्थ स्थलों पर कचरा प्रबंधन और स्वच्छता के लिए एक ठोस कार्यनीति तैयार करना।
प्रमुख बिंदु और कार्य योजना:
1. मॉडल मंदिरों की स्थापना:
देहरादून के कुछ प्रमुख मंदिरों को स्वच्छता के मॉडल स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां इको-फ्रेंडली डिज़ाइन, भीड़ नियंत्रण और ठोस कचरा प्रबंधन की आधुनिक व्यवस्था होगी।
2. सामूहिक जन-जागरूकता अभियान:
नगर निगम, वन विभाग, MAD (Making A Difference), Waste Warriors और मंदिर समितियों के सहयोग से शहरभर में मीडिया, नाटक और संवाद आधारित जन-जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।
3. सम्मान और प्रेरणा का मॉडल:
जो मंदिर, गुरुद्वारे और अन्य पूजा स्थल स्वच्छता और पर्यावरण प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य करेंगे, उन्हें सार्वजनिक मंचों पर सम्मानित किया जाएगा, जिससे अन्य संस्थान भी प्रेरित हो सकें।
4. सामुदायिक भागीदारी:
स्थानीय युवाओं, RWAs, NYKS और वरिष्ठ नागरिकों की भागीदारी से ‘Faith Face Committees’ बनाई जाएंगी जो स्थानीय स्तर पर स्वच्छता अभियानों का नेतृत्व करेंगी।
5. डिजिटल और मीडिया माध्यम का उपयोग:
धार्मिक स्थलों की स्वच्छता को लेकर वीडियो डॉक्युमेंटेशन, पॉडकास्ट और सोशल मीडिया सामग्री तैयार की जाएगी, जिससे व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलाई जा सके।
6. नगर और राज्य प्रशासनिक भागीदारी:
नगर आयुक्त और शहरी विकास निकायों को अभियान की नीति निर्धारण और क्रियान्वयन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा, जिससे यह पहल दीर्घकालिक और प्रभावी बन सके।
उल्लेखनीय वक्तव्य:
मीनाक्षी मेश्राम (DCF):
“यदि आस्था संस्थाएं आत्मा को प्रेरित कर सकती हैं, तो स्वच्छता को भी प्रेरित किया जा सकता है। यह केवल नागरिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक आवश्यकता है।”
नवीन सडाना (Waste Warriors):
“स्थायी सफलता के लिए मंदिर समितियों, RWAs और युवाओं की भागीदारी ज़रूरी है। स्वच्छता को जनांदोलन की तरह अपनाना होगा।”
DDL Labs का दृष्टिकोण:
DDL Labs के उदित शर्मा ने अपने संबोधन में इकोनॉमी आधारित उद्यमिता और सामुदायिक नेतृत्व आधारित प्रशासन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इन विचारों को केवल शब्दों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि धरातल पर क्रियान्वयन की दिशा में प्रत्येक स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष:
यह बैठक देहरादून को न केवल एक स्वच्छ और श्रद्धायुक्त शहर के रूप में विकसित करने की दिशा में एक ठोस पहल है, बल्कि यह मॉडल अन्य भारतीय शहरों के लिए भी मार्गदर्शक बन सकता है।
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