रामनगर। उत्तराखंड की राजनीति में आज बड़ा घटनाक्रम सामने आया। हिमालय क्रांति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेश उपाध्याय समेत 100 से अधिक सदस्य रविवार को उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) की सदस्यता ले चुके हैं।
शुरुआत में जब यह खबर बाहर आई तो सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर चर्चा इस तरह फैली कि मानो हिमालय क्रांति पार्टी का पूर्ण रूप से UKD में विलय हो चुका है। कई जगहों पर कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इसे “पार्टी विलय” की संज्ञा तक दे डाली।
जनता का कहना है कि जब पार्टी अध्यक्ष और इतनी बड़ी संख्या में सदस्य ही दूसरी पार्टी का दामन थाम चुके हैं तो ऐसे में संगठन किस दिशा में जाएगा, यह सबसे बड़ा सवाल है। एक स्थानीय नागरिक ने सोशल मीडिया पर लिखा – “जब कप्तान ही जहाज़ छोड़ दे तो बची-खुची नाव किस ओर जाएगी?”
हालाँकि, देर शाम हिमालय क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शंकर दत्त सती ने बयान जारी कर स्थिति साफ करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पार्टी विचारधारा पर आधारित है, न कि किसी व्यक्ति विशेष पर। किसी सदस्य या पदाधिकारी के जाने का अर्थ यह नहीं कि पूरी पार्टी का विलय हो गया है।
सती ने यह भी स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर फैली “विलय” की अफवाहें भ्रामक हैं। उन्होंने कहा – “हिमालय क्रांति पार्टी अनुशासन और विचारधारा के आधार पर खड़ी है। कुछ व्यक्तियों के जाने से संगठन कमजोर नहीं होगा बल्कि बचे हुए कार्यकर्ता और अधिक मजबूती से पार्टी के साथ खड़े रहेंगे।”
फिर भी, वास्तविकता यही है कि पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता अब UKD के साथ जा चुके हैं। ऐसे में यह सवाल लगातार गहराता जा रहा है कि हिमालय क्रांति पार्टी का भविष्य आखिर किस ओर जाएगा – क्या संगठन अपने अस्तित्व को बचा पाएगा या फिर यह वाकई इतिहास बनने की ओर बढ़ रहा है?
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