देहरादून | Pahadpan
अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय की लड़ाई अब भी अधूरी है, लेकिन इस बीच उत्तराखंड सरकार की ओर से कथित रूप से भ्रामक जानकारी फैलाने का मामला सामने आया है। अंकिता के पिता, वीरेंद्र भंडारी, ने एक वीडियो जारी कर साफ किया है कि उन्हें या उनके बेटे को कोई सरकारी नौकरी नहीं दी गई है।
वीडियो में श्री भंडारी बेहद व्यथित नज़र आते हैं और कहते हैं,
“अगर मुख्यमंत्री ने नौकरी दी है, तो बताइए किस विभाग में दी है? कोई नियुक्ति पत्र दिखाइए।”
उनका यह बयान उन मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक बयानों के बाद सामने आया है जिनमें यह दावा किया गया था कि सरकार ने अंकिता के परिवार को नौकरी देकर सहायता की है।
न्याय की लड़ाई अब भी अधूरी
गौरतलब है कि अंकिता भंडारी, वनंत्रा रिसॉर्ट में काम करने वाली 19 वर्षीय युवती, की हत्या के मामले में VIP एंगल सामने आने के बाद पूरे राज्य में जन आक्रोश देखने को मिला था। हालांकि, अभी तक इस मामले में CBI जांच नहीं हुई है, और आरोपी पुलकित आर्य को लेकर भी लोगों में यह विश्वास नहीं बन पाया है कि उसे सज़ा जरूर मिलेगी।
सरकार ने घटना के बाद कुछ तात्कालिक कदम उठाए, जैसे कि रिसॉर्ट पर बुलडोज़र चलाना, लेकिन कई लोग इसे सबूतों को नष्ट करने की साजिश मानते हैं।
सवालों के घेरे में सरकार
अब जब अंकिता के पिता खुद सामने आकर सरकार पर झूठ फैलाने का आरोप लगा रहे हैं, तो ये मामला और भी गंभीर हो गया है। यह सवाल उठने लगे हैं कि—
क्या सरकार इस संवेदनशील मामले को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है?
क्या पीड़ित परिवार को न्याय से ज़्यादा झूठी सांत्वनाएँ दी जा रही हैं?
जनता से सवाल
इस पूरे मामले में एक और पहलू भी सामने आ रहा है — वह है जनता की भूमिका। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों का कहना है कि अगर जनता जागरूक नहीं होगी और गलत नीतियों पर सवाल नहीं उठाएगी, तो VIP संस्कृति और सत्ता का दुरुपयोग बढ़ता ही जाएगा।
Pahadpan का मानना है कि अगर सच में अंकिता को न्याय दिलाना है, तो यह ज़रूरी है कि सरकार जवाबदेह बने, और CBI जांच के आदेश दिए जाएं।
अंकिता अकेली नहीं थी, वह उत्तराखंड की हर बेटी की आवाज़ थी। और ये आवाज़ तब तक उठती रहेगी जब तक न्याय नहीं मिलता।
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