“रुद्रप्रयाग पुलिस पेश कर रही है मिसाल — फेसबुक पोस्टों में गढ़वाली और हिंदी दोनों भाषाओं का हो रहा उपयोग”

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग पुलिस इन दिनों न सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने में सक्रिय है, बल्कि अपनी मातृभाषा गढ़वाली को बढ़ावा देने के लिए भी एक सराहनीय प्रयास कर रही है। जिले की पुलिस अपने आधिकारिक फेसबुक हैंडल पर की जा रही पोस्टों को हिंदी के साथ-साथ गढ़वाली भाषा में भी साझा कर रही है।

 

यह पहल ना केवल स्थानीय जनता के साथ भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करती है, बल्कि गढ़वाली जैसी लोकभाषा को डिजिटल माध्यम में स्थान देकर संस्कृति संरक्षण का भी महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। सोशल मीडिया पर यह कदम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है और अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बनता जा रहा है।

 

स्थानीय लोगों का मानना है कि यह कदम भाषा और संस्कृति को जीवित रखने में अहम भूमिका निभाएगा। कई लोग अब रुद्रप्रयाग पुलिस की इस पहल की सराहना करते हुए इसे “बोलचाल की भाषा को मंच देने वाला” कदम बता रहे हैं।

 

संस्कृति प्रेम और तकनीक का संगम:

जब प्रशासनिक इकाइयाँ तकनीक का उपयोग कर जनसंपर्क को सशक्त बनाती हैं और साथ ही लोकभाषा का सम्मान करती हैं, तो यह लोकतंत्र और संस्कृति दोनों की मजबूती का संकेत होता है। रुद्रप्रयाग पुलिस का यह प्रयास उत्तराखंड में भाषा आधारित जागरूकता के नए द्वार खोल रहा है।

 

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