राष्ट्रीय खेल:-उत्तराखंड राज्य की टीम में बाहरी खिलाड़ियों को शामिल करने पर विवाद, मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने जताया विरोध

उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्य की टीम में बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों को शामिल किए जाने पर स्थानीय खेल समुदाय और संगठनों में रोष है। इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए मूल निवास – भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड के संयोजक मोहित डिमरी ने 30 जनवरी 2025 को विशेष प्रमुख सचिव खेल, श्री अमित सिन्हा से मुलाकात कर विरोध दर्ज कराया और ज्ञापन सौंपा।

 

ज्ञापन में उठाए गए मुद्दे और मांगें:

1. बाहरी खिलाड़ियों को हटाने की मांग:

राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड की टीम में शामिल बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों को तुरंत हटाया जाए।

उनके स्थान पर राज्य के प्रतिभाशाली और योग्य खिलाड़ियों को मौका दिया जाए, ताकि उनके अधिकार सुरक्षित रहें।

 

 

2. जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई:

दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों को टीम में शामिल करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और पदाधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए।

 

 

3. पुलिस और आधार वेरिफिकेशन:

बाहरी खिलाड़ियों की पहचान की जांच सुनिश्चित करने के लिए उनका पुलिस सत्यापन और आधार कार्ड वेरिफिकेशन करवाया जाए।

 

 

 

संघर्ष समिति का पक्ष:

मोहित डिमरी ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन राज्य के खिलाड़ियों और युवाओं के लिए अपनी प्रतिभा को साबित करने का एक महत्वपूर्ण मंच होता है। लेकिन, बाहरी खिलाड़ियों को मौका देकर स्थानीय खिलाड़ियों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है,यह उत्तराखंड के युवाओं और खेल प्रतिभाओं के साथ बड़ा अन्याय है।

उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी खिलाड़ियों को खिला कर राज्य की खेल नीति और खेल भावना का अपमान किया गया है। स्थानीय खिलाड़ियों को तैयार करने और प्रोत्साहित करने की जगह बाहरी खिलाड़ियों को प्राथमिकता देना प्रशासन और खेल विभाग की गंभीर लापरवाही है।

 

संघर्ष समिति की चेतावनी:

मूल निवास – भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है। समिति ने कहा है कि अगर बाहरी खिलाड़ियों को टीम से नहीं हटाया गया और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो समिति बड़े पैमाने पर आंदोलन करेगी।

 

खेल मंत्री और खेल निदेशक को भी ज्ञापन:

संघर्ष समिति ने इस मुद्दे पर राज्य की खेल मंत्री और खेल निदेशक को भी ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने अपील की है कि राज्य के खिलाड़ियों के साथ न्याय हो और बाहरी खिलाड़ियों की भागीदारी पर रोक लगाई जाए।

 

स्थानीय खिलाड़ियों के हितों की अनदेखी:

संघर्ष समिति के अनुसार, राज्य के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेलों जैसे मंच पर प्रतिनिधित्व करने से वंचित करना न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह उनकी मेहनत और भविष्य के साथ खिलवाड़ है। यह कदम राज्य में खेलों के विकास के उद्देश्य को बाधित करता है।

 

संघर्ष समिति का संकल्प:

मोहित डिमरी ने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई केवल एक ज्ञापन तक सीमित नहीं है। यदि सरकार और संबंधित विभाग इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करते हैं, तो समिति राज्यव्यापी आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी।

 

यह मामला राज्य के खेल प्रबंधन और प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़े सवाल खड़े करता है। संघर्ष समिति का यह प्रयास स्थानीय खिलाड़ियों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।

 

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