रामनगर (नैनीताल):
रामनगर संयुक्त चिकित्सालय से एक हृदय विदारक दृश्य सामने आया है, जिसने स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। बीते दिनों एक सड़क दुर्घटना में मृत 32 वर्षीय संदीप रावत का शव अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस तक ई-रिक्शा में ले जाया गया, जिसकी तस्वीरें सामने आने के बाद जनता में आक्रोश फैल गया है।
इस अमानवीय घटना ने स्वास्थ्य तंत्र की बदहाल व्यवस्था और संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले को लेकर मीडिया में भारी चर्चा के बाद उत्तराखंड शासन हरकत में आया और 23 मई, 2025 को शासन की ओर से जांच समिति के गठन का आदेश जारी किया गया।
जारी आदेश में कहा गया है कि संदीप रावत के पार्थिव शरीर को ई-रिक्शा द्वारा परिवहन किए जाने की घटना की विस्तृत जांच हेतु तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है। इस समिति में शामिल हैं:
महानिदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तराखंड — अध्यक्ष
निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कुमाऊं मंडल, नैनीताल — सदस्य
अपर निदेशक (प्रशासन), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय — सदस्य
समिति को निर्देश दिए गए हैं कि वे घटना से जुड़े सभी पक्षों की जांच कर दिनांक 30 मई, 2025 तक शासन को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपें।
यह मामला न केवल उत्तराखंड के स्वास्थ्य तंत्र की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मानवीय संवेदनाएं और गरिमा किस तरह उपेक्षित की जा रही हैं। जनता अब इस मामले में न्यायोचित कार्रवाई और दोषियों की जवाबदेही की मांग कर रही है।
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